महाकाल मंदिर के प्रसाद पर विवाद: कांग्रेस ने लगाया आस्था के साथ खिलवाड़ का आरोप

उज्जैन:  मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के लड्डू प्रसाद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। हाल ही में बीजेपी नेता संजय अग्रवाल का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने प्रसाद के लिए चना दाल चक्की में डालने से पहले खुद खा लिया। इस घटना ने न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत किया है, बल्कि राजनीतिक रूप से भी बड़ा विवाद उत्पन्न कर दिया है। कांग्रेस पार्टी ने इसे आस्था के साथ खिलवाड़ बताते हुए राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

शनिवार को जब प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल महाकाल मंदिर पहुंचे, तो उन्होंने संजय अग्रवाल और नगर निगम सभापति कलावती यादव के साथ मिलकर लड्डू प्रसादी यूनिट का निरीक्षण किया। इस दौरान, संजय अग्रवाल ने प्रसाद निर्माण प्रक्रिया को देखते हुए एक मुट्ठी चना दाल उठाई, उसे चक्की में डालकर कुछ दाने अपने मुंह में डाल लिए, और शेष दाल वापस चक्की में डाल दी। इस पूरी घटना को मंदिर प्रशासन द्वारा वीडियो में कैद किया गया था, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह स्पष्ट रूप से भाजपा के भ्रष्टाचार का परिणाम है, जिसने करोड़ों प्रदेशवासियों की आस्था को चोट पहुंचाई है। उन्होंने और भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने महाकाल की पावन भूमि को भी नहीं छोड़ा है और इसकी आड़ में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। उज्जैन में हाल ही में हुई एक दीवार गिरने की घटना को लेकर भी उन्होंने सरकार को घेरा, जिसमें दो लोगों की जान चली गई थी।

कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी इस घटना की निंदा की। शहर कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश भाटी ने कहा कि इस तरह की हरकतें भाजपा की राजनीति का एक शर्मनाक उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि जो दाल भगवान महाकाल को अर्पित की जाएगी, उसे चक्की में डालने से पहले खाने का कृत्य श्रद्धालुओं की भावनाओं का अपमान है। विधायक महेश परमार ने भी इस घटना पर आपत्ति जताई, यह कहते हुए कि भाजपा नेताओं को बाबा महाकाल और भक्तों से माफी मांगनी चाहिए।

विवाद के बाद, संजय अग्रवाल ने अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि वे दाल के व्यापारी हैं और इसका गुणवत्ता परीक्षण कर रहे थे। अगर उनके किसी कार्य से कोई आहत हुआ है, तो वे माफी मांगते हैं और कहा कि राजनीति को मंदिर से दूर रखा जाना चाहिए।

यह मामला महाकालेश्वर मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की भावनाओं को लेकर एक नई बहस को जन्म दे रहा है, जिसमें आस्था, राजनीति और भ्रष्टाचार की गहरी परतें शामिल हैं। इस घटनाक्रम ने मध्य प्रदेश में सरकार और विपक्ष के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है