चैंपियंस ट्रॉफी 2025: मोहम्मद शमी के रोजा न रखने पर विवाद, मौलवियों की तीखी प्रतिक्रिया-‘शरीयत के खिलाफ, किया गुनाह’

मुंबई भारतीय क्रिकेट टीम के अनुभवी तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी इन दिनों चर्चा के केंद्र में आ गए हैं। चैंपियंस ट्रॉफी के एक मैच के दौरान शमी को मैदान पर पानी पीते देखा गया, जिसके बाद कुछ मौलवियों ने उन पर निशाना साधा। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने शमी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि रमजान के दौरान रोजा न रखना इस्लामिक नियमों का उल्लंघन है और ऐसा करना एक बड़ा गुनाह है। उन्होंने आगे कहा कि शमी एक जाने-माने क्रिकेटर हैं, जिन्हें लाखों लोग देखते हैं। ऐसे में उनके पानी पीने से लोगों के बीच गलत संदेश जाता है और यह शरीयत के खिलाफ है। उनका कहना था कि यदि शमी खेलने के लिए फिट हैं, तो उन्हें रोजा भी रखना चाहिए था। मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि उन्हें खुदा को इस गुनाह के लिए जवाब देना होगा।

हालांकि, इस विवाद के बाद कई लोग शमी के समर्थन में आ गए हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक रोहित पवार ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोहम्मद शमी न केवल एक शानदार क्रिकेटर हैं, बल्कि देश के लिए खेलते हुए उन्होंने कई बार टीम को जीत दिलाई है। उन्होंने कहा, “अगर शमी को लगता है कि रोजे के कारण उनके प्रदर्शन पर असर पड़ेगा और वह अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पाएंगे, तो वह कभी इस फैसले के साथ सहज नहीं हो पाएंगे। वह कट्टर भारतीय हैं और देश के लिए खेलना उनके लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता है। खेलों में धर्म को नहीं लाना चाहिए।” रोहित पवार ने आगे कहा कि अगर आज किसी भी मुस्लिम व्यक्ति से पूछा जाए, तो वह यही कहेगा कि उन्हें मोहम्मद शमी पर गर्व है।

मोहम्मद शमी की मैदान पर वापसी भी काफी अहम रही है। चोट से उबरने के बाद उन्होंने चैंपियंस ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन किया है। जसप्रीत बुमराह की गैरमौजूदगी में उन्होंने भारतीय गेंदबाजी आक्रमण की कमान संभाली है और अब तक टूर्नामेंट में आठ विकेट लिए हैं। शमी ने हर्षित राणा और हार्दिक पांड्या के साथ नई गेंद साझा की है। हालांकि, हार्दिक पांड्या एक ऑलराउंडर हैं और वनडे मैचों में 10 ओवर लगातार नहीं डालते, जबकि हर्षित राणा अभी नए हैं। ऐसे में शमी का अनुभव टीम के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा है।

यह पहली बार नहीं है जब किसी खिलाड़ी के धार्मिक विश्वास और खेल के बीच बहस छिड़ी हो। लेकिन इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या खेल में धर्म को हस्तक्षेप करना चाहिए? भारतीय क्रिकेट के कई प्रशंसकों और विशेषज्ञों का मानना है कि किसी खिलाड़ी के निजी धार्मिक फैसले को लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा करना सही नहीं है, खासकर जब वह अपने देश के लिए खेल रहा हो।

शमी का करियर कई चुनौतियों और विवादों से भरा रहा है, लेकिन उन्होंने हमेशा अपने प्रदर्शन से आलोचकों का मुंह बंद किया है। विश्व कप 2023 के दौरान टखने की चोट के कारण लंबे समय तक क्रिकेट से दूर रहने वाले शमी ने अब जबरदस्त वापसी की है और एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। ऐसे में उनके समर्थन में कई दिग्गज क्रिकेटरों और खेल प्रेमियों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं।