जबलपुर में सेना के जवानों की दबंगई: निर्माण कार्य रोकने पहुंचे जवानों ने पूर्व पार्षद को जबरदस्ती गाड़ी में बैठाया, जनता में भारी आक्रोश

मध्यप्रदेश:  जबलपुर शहर में एक बार फिर से सेना के जवानों की कथित दबंगई ने शहरवासियों में आक्रोश पैदा कर दिया है। संजय गांधी नगर वार्ड में एक निर्माण कार्य के दौरान सेना के जवानों और सिविलियनों के बीच तीखी झड़प की घटना ने तूल पकड़ लिया। बताया जा रहा है कि सेना के जवान निर्माण कार्य रुकवाने के लिए पहुंचे थे, जहां उनके और स्थानीय लोगों के बीच विवाद हो गया। इस दौरान जन प्रतिनिधि के साथ बदसलूकी और गाली-गलौज के आरोप भी लगे हैं। घटना के विरोध में गुस्साए लोगों ने कैंट थाने का घेराव कर दिया और दोषी जवानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की।

घटना का पूरा विवरण:

घटना तब हुई जब संजय गांधी नगर वार्ड में एक मकान का निर्माण कार्य चल रहा था। सेना के जवानों ने वहां पहुंचकर काम को रुकवाने की कोशिश की। इस दौरान जवानों और निर्माण कार्य करवा रहे परिवार के सदस्यों के बीच तीखी बहस हो गई। बीच-बचाव करने आए पूर्व पार्षद अमरचंद बावरिया ने मामले को शांत करने की कोशिश की, लेकिन जवानों ने उनसे भी दुर्व्यवहार किया। आरोप है कि सेना के जवानों ने पूर्व पार्षद को जबरदस्ती अपनी गाड़ी में बिठाया और उन्हें कहीं ले जाने की कोशिश की। इस दौरान पूर्व पार्षद के साथ मारपीट की गई, जिससे उन्हें चोट भी आई। घटना की जानकारी मिलते ही क्षेत्रीय लोग और जनप्रतिनिधि कैंट थाने पहुंचे और दोषी जवानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

जनता का थाने में प्रदर्शन:

इस घटना से नाराज स्थानीय लोग बड़ी संख्या में कैंट थाने के बाहर जमा हो गए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सेना के जवानों का यह बर्ताव निंदनीय है और उन्हें आम नागरिकों के साथ इस प्रकार का दुर्व्यवहार करने का कोई अधिकार नहीं है। क्षेत्रीय नेताओं ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की और कहा कि सेना को अनुशासन और मर्यादा का पालन करना चाहिए। गुस्साए लोगों ने थाने के बाहर जमकर नारेबाजी की और दोषी जवानों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज करने की मांग की।

नेताओं और स्थानीय जनता का आरोप:

मौके पर मौजूद नेताओं का कहना है कि सेना के जवानों ने जनप्रतिनिधियों के साथ जिस प्रकार का व्यवहार किया, वह पूरी तरह से अनुचित है। उन्होंने कहा कि सेना का काम सीमा पर देश की रक्षा करना है, न कि नागरिकों के साथ इस प्रकार का बर्ताव करना। स्थानीय लोगों का आरोप है कि सेना के जवान अक्सर इसी तरह के मामलों में हस्तक्षेप करते हैं और उन्हें डराने-धमकाने का प्रयास करते हैं।

पुलिस की प्रतिक्रिया:

कैंट थाना प्रभारी ने कहा कि घटना की जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी और दोषी पाए जाने पर संबंधित जवानों के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि पूर्व पार्षद की मेडिकल जांच करवाई जा रही है और उनकी शिकायत के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

सेना की प्रतिक्रिया:

इस घटना पर सेना के अधिकारियों ने कहा कि वे पूरी घटना की जांच कर रहे हैं और अगर जवानों की गलती पाई जाती है तो उनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। सेना के प्रवक्ता ने कहा कि जवानों को आम जनता के साथ संयम और मर्यादा के साथ पेश आना चाहिए और इस प्रकार की घटनाएं सेना की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं। सेना के अधिकारी पुलिस की जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं और दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।

घटना के सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव:

इस घटना ने शहर में सेना और सिविलियनों के बीच तनाव को जन्म दिया है। स्थानीय राजनीतिक दलों ने भी इस घटना को लेकर अपना विरोध जताया है और कहा कि अगर सेना के जवान इस तरह का व्यवहार करेंगे, तो आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा कैसे होगी। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर प्रशासन और सेना के उच्चाधिकारियों से मुलाकात करने की बात कही है।

इस बीच, यह देखना होगा कि इस घटना का समाधान कैसे निकलता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे। फिलहाल, पुलिस और सेना दोनों ही मामले की जांच में जुटे हुए हैं और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस घटना की सच्चाई सामने आएगी।