“अदाणी पर रिश्वतखोरी के आरोप: संसद में हंगामा, विदेश मंत्रालय ने दी सफाई”

नई दिल्ली:  अमेरिकी न्याय विभाग के ताजा अभियोग में भारतीय उद्योगपति गौतम अदाणी और अन्य पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस आरोप के तहत कहा गया है कि भारत में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के ठेके हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी गई। हालांकि, इस मामले में फिलहाल आरोप ही लगाए गए हैं, और कोई ठोस सबूत या प्रमाण पेश नहीं किया गया है। इस मुद्दे ने भारत में राजनीतिक और कानूनी हलचल पैदा कर दी है, जहां संसद से लेकर मीडिया तक इस पर बहस चल रही है।

गौतम अदाणी पर लगे इन आरोपों को लेकर भारत के विदेश मंत्रालय ने पहली बार औपचारिक बयान दिया। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि यह मामला पूरी तरह से कानूनी प्रकृति का है, जिसमें निजी कंपनियां, व्यक्ति और अमेरिकी न्याय विभाग शामिल हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों के लिए कुछ स्थापित प्रक्रियाएँ और कानूनी उपाय होते हैं, जिनका पालन किया जाना आवश्यक है।

प्रवक्ता ने यह भी बताया कि भारतीय सरकार को इस मुद्दे के बारे में पहले से सूचित नहीं किया गया था और न ही अमेरिकी सरकार से इस संबंध में कोई बातचीत हुई है। उन्होंने कहा, “किसी विदेशी सरकार द्वारा समन या गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अनुरोध पारस्परिक कानूनी सहायता के दायरे में आता है, और ऐसे अनुरोधों की जांच उनकी वैधता और योग्यता के आधार पर की जाती है। लेकिन इस मामले में अभी तक हमें अमेरिकी पक्ष से कोई आधिकारिक अनुरोध प्राप्त नहीं हुआ है।”

इस मुद्दे को लेकर भारतीय संसद में भी जोरदार हंगामा हो रहा है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार इस मामले में चुप्पी साधे हुए है और इस पर खुलासा करने से बच रही है। विपक्ष का कहना है कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद सरकार ने अदाणी समूह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। इसके चलते संसद की कार्यवाही चार बार स्थगित की जा चुकी है, और यह विवाद गहराता जा रहा है।

गौतम अदाणी और अदाणी समूह पर लगे ये आरोप उनकी साख और व्यावसायिक छवि के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। सौर ऊर्जा जैसे उभरते और महत्वपूर्ण क्षेत्र में ऐसे आरोपों से न केवल अदाणी समूह की प्रतिष्ठा को नुकसान हो सकता है, बल्कि भारत की वैश्विक निवेश साख पर भी असर पड़ सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले का असर भारत-अमेरिका के व्यापार और कूटनीतिक संबंधों पर भी पड़ सकता है। यदि अमेरिकी न्याय विभाग इन आरोपों को लेकर ठोस सबूत पेश करता है, तो अदाणी समूह और भारतीय अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

हालांकि, यह मामला अभी कानूनी प्रक्रियाओं के तहत है और अंतिम निष्कर्ष निकालने से पहले सभी पक्षों की जांच और सुनवाई जरूरी है। अदाणी समूह ने अभी तक इस पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन यह मामला भारत की व्यापारिक और राजनीतिक स्थिति के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अमेरिकी न्याय विभाग इस पर क्या कदम उठाता है और भारतीय न्यायिक प्रणाली इस मामले में कैसे प्रतिक्रिया देती है।