“सीमा पर शांति की ओर बड़ा कदम: भारत-चीन ने पूर्वी लद्दाख में शुरू की सैनिकों की वापसी”
नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख सेक्टर में भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में दोनों देशों की सेनाओं ने पीछे हटना शुरू कर दिया है। डेमचोक और देपसांग जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में यह प्रक्रिया शुरू की गई है, जहां पिछले कुछ वर्षों से दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं। यह कदम दोनों देशों के बीच हुए समझौतों के तहत उठाया जा रहा है, जिसमें तनाव को कम करने और शांति स्थापित करने पर सहमति बनी थी।
भारतीय और चीनी सेना के बीच यह समझौता कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं के कई दौर के बाद हुआ, जिसमें दोनों पक्षों ने तनाव को कम करने की आवश्यकता को स्वीकार किया। डेमचोक और देपसांग उन क्षेत्रों में शामिल हैं, जहां दोनों देशों के सैनिकों के बीच गतिरोध की स्थिति रही थी। अब, इस समझौते के अनुसार, दोनों सेनाएं इन बिंदुओं से पीछे हट रही हैं और क्षेत्र में स्थापित उपकरणों को भी हटा रही हैं।
भारतीय सेना ने भी संबंधित क्षेत्रों में लगाए गए अपने सैन्य उपकरणों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम सीमा पर स्थिति को सामान्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है। इस तरह के सैन्य उपकरणों का हटाया जाना यह दर्शाता है कि दोनों देश सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं और सैन्य तनाव को कम करने के लिए ठोस प्रयास कर रहे हैं।
यह निर्णय पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास के उन क्षेत्रों में शांति बहाल करने का एक हिस्सा है, जहां पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच कई बार तनावपूर्ण स्थिति पैदा हुई। 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आई थी। हालांकि, विभिन्न स्तरों पर हुए वार्तालापों और सहमतियों के माध्यम से धीरे-धीरे दोनों देशों ने तनाव को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
डेमचोक और देपसांग जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सेनाओं का पीछे हटना क्षेत्रीय स्थिरता और सीमा पर शांति सुनिश्चित करने के प्रयासों का हिस्सा है। यह न केवल दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने में सहायक होगा, बल्कि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इसके अतिरिक्त, इस कदम से दोनों देशों के बीच विश्वास निर्माण की प्रक्रिया को भी बल मिलेगा, जो भविष्य में सीमा विवादों को हल करने के लिए आवश्यक है।
कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर आगे भी वार्तालाप जारी रहने की संभावना है, ताकि शेष विवादित क्षेत्रों में भी इसी तरह का समाधान निकाला जा सके। पूर्वी लद्दाख में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए यह कदम एक सकारात्मक दिशा में उठाया गया कदम है, जो दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के प्रयासों को और मजबूती देगा।