बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए हिंदू समुदाय का बड़ा प्रदर्शन: सनातन जागरण मंच ने उठाए कई महत्वपूर्ण मुद्दे

ढाका:  बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों ने शनिवार को चटगांव में एक विशाल रैली आयोजित की, जिसमें सनातन जागरण मंच के नेतृत्व में अपनी सुरक्षा और अधिकारों की मांग को लेकर आवाज उठाई। इस रैली में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए, जिन्होंने बांग्लादेश सरकार से आठ प्रमुख मांगें कीं। इस प्रदर्शन में दिखी एकजुटता ने स्पष्ट किया कि हिंदू अल्पसंख्यक अपने अधिकारों के प्रति सजग और संकल्पित हैं।

रैली के दौरान कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और अपराध बढ़ रहे हैं। उन्होंने मांग की कि अल्पसंख्यकों पर होने वाले अपराधों के मामलों की जांच के लिए विशेष न्यायाधिकरण का गठन किया जाए। इसके साथ ही, पीड़ितों को उचित मुआवजा और पुनर्वास प्रदान किया जाना चाहिए। इन मुद्दों के अलावा, अल्पसंख्यक सुरक्षा कानून को लागू करने और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की स्थापना की भी आवश्यकता बताई गई।

सनातन जागरण मंच ने यह भी सुनिश्चित करने की मांग की कि शैक्षणिक संस्थानों और छात्रावासों में अल्पसंख्यकों के लिए प्रार्थना स्थलों और पूजा कक्षों की स्थापना की जाए। उन्होंने हिंदू, बौद्ध, और ईसाई कल्याण ट्रस्टों को प्राथमिकता देने और संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम को लागू करने की भी अपील की। इसके अतिरिक्त, पाली और संस्कृत शिक्षा बोर्ड का आधुनिकीकरण और दुर्गा पूजा के अवसर पर पांच दिन की छुट्टी की मांग भी की गई।

बांग्लादेश में यह प्रदर्शन हाल की घटनाओं की पृष्ठभूमि में हुआ है, जब नौकरियों के विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हिंसा में बदल गया। इस बढ़ती हिंसा के कारण, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पांच अगस्त को इस्तीफा देकर भारत की ओर रुख किया। उनके नेतृत्व वाली सरकार को एक अंतरिम सरकार द्वारा प्रतिस्थापित किया गया, जिसमें नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया। हालांकि, अंतरिम सरकार के गठन के बाद भी अल्पसंख्यकों के घरों और धार्मिक स्थलों पर हमले जारी रहे।

इस रैली में भाग लेने वाले लोगों ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए लेखिका तस्लीमा नसरीन ने भी अपने विचार सोशल मीडिया पर साझा किए, जो इस मामले की गंभीरता को और बढ़ाते हैं। बांग्लादेश में इस समय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर चिंता गहरी हो गई है, और यह रैली इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।