नई दिल्लीः खालिस्तानी संगठनों और उनसे जुड़े आतंकियों पर भारतीय जांच एजेंसियों द्वारा नकेल कसने की कवायद जारी है. जांच एजेंसियां विदेश के साथ-साथ देश में भी लगातार सर्च ऑपरेशन जारी हैं. राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा खालिस्तानी आतंकियों, समर्थकों और उनसे जुड़े प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े आरोपितों के यहां सर्च ऑपरेशन जारी है. एनआईए के सूत्रों के मुताबिक राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली के करीब 50 जगहों पर ये छापेमारी चल रही है.
हाल ही में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा अपनी संसद में खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत पर आरोप लगाने के बाद से खालिस्तान का मुद्दा गरमाया हुआ है. बता दें कि कनाडा में सक्रिय खालिस्तान समर्थकों को बेनकाब करने के साथ-साथ उनके नेटवर्क को खंगालने में एजेंसियां जुटी हुई हैं. साथ ही उनके फंडिंग सोर्स पर भी लगाम लगाने की तैयारी चल रही है. इसके लिए फाइनेंसियल इंटेलिजेंस यूनिट, आईबी सहित कई एजेंसियां एक्टिव हो गई हैं. अंदेशा जताया जा रहा है कि खालिस्तान गैंगस्टर गठजोड़ भारत के लिए खतरनाक होता जा रहा है.
NIA सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसी ने खालिस्तान, ISI और गैंगस्टर नेक्सस पर कई इनपुट्स इकट्ठा किए हैं. अब तक जितने भी गैंगस्टर और खालिस्तानियों को UAPA के तहत गिरफ्तार किया है, उनसे पूछताछ के आधार पर ये कार्रवाई हो रही है. माफियाओं और खालिस्तानियों के इस नेक्सस का इस्तेमाल टेरर फंडिंग और हथियार सप्लाई के साथ-साथ विदेशी धरती से देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए हो रहा है.
इससे पहले, 23 सितंबर को खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू पर भी बड़ी कार्रवाई हुई थी. NIA ने पन्नू के पंजाब स्थित घर और दूसरी संपत्तियों को जब्त कर लिया था. NIA ने चंडीगढ़ में उसके घर के बाहर जब्ती का नोटिस लगा दिया. NIA ने पन्नू के खिलाफ कार्रवाई के बाद एक प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की. जांच एजेंसी के मुताबिक पन्नू ,2019 से ही NIA के रडार पर है. जब्ती के नोटिस में लिखा गया,
बता दें कि खालिस्तानी कट्टरपंथी कनाडा की जमीं पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीतिक समर्थन की आड़ लेकर करीब 50 साल से अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. लेकिन फिर भी कनाडाई सरकार चुप्पी साधे हुए है. हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई, जिसमें बताया गया कि भारत सरकार ने कई बार कनाडा को खालिस्तानियों के खिलाफ सबूत दिए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. यहां तक कि उन आतंकियों के लोकेशन तक बताए गए फिर कनाडाई सरकार ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया.