रायपुर। आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने राज्य सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि एक दशक के जन-विरोध और पर्यावरणीय चिंताओं को नज़रअंदाज़ करके फ़र्जी ग्राम सभा के आधार पर छत्तीसगढ़ सरकार ने हसदेव अरण्य में अपनी पार्टी के अन्य राज्य के मुख्यमंत्री के इशारे पर अडानी जैसे उद्द्योगपतियो को खदानों की दी हरी झंडी।
अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से छत्तीसगढ़ शासन ने परसा खदान को एक फ़र्जी ग्राम सभा के आधार पर अंतिम मंजूरी दे दी है। साथ ही परसा ईस्ट केटे बासेन खदान ने द्वितीय चरण विस्तार को भी शुरू करने की हरी झंडी दे दी है । इन दोनों परियोजनाओं से सैंकड़ों आदिवासी विस्थापित तथा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होंगे तथा 170,000 हेक्टेयर घने समृद्ध जंगल का विनाश निश्चित है
पिछले 3 वर्षों से आदिवासी समुदाय हर-संभव प्रयास कर चुके हैं । पिछले अक्टूबर में ही हसदेव से 300 किमी पदयात्रा की थी और राज्यपाल को पत्र भी दिया गया था जिस पर राज्यपाल ने कार्यवाही पर रोक लगाने के निर्देश भी दिए थे। परंतु यह जांच अब तक लंबित है और इस बीच ही यह स्वीकृति प्रदान करना कानूनी प्रक्रियाओं एवं संवैधानिक मर्यादाओं की अवमानना है | ऐसी स्थिति में आदिवासी समुदाय के लिए बने जन-कानूनों – पेसा एक्ट 1996, वनाधिकार मान्यता कानून 2006, तथा संविधान की पाँचवी अनुसूची के अधिकारों का पूर्णतया उल्लंघन किया गया है जोकि गैर-कानूनी है।
कोयला खनन परियोजनाओं का हसदेव अरण्य क्षेत्र की 20 ग्राम सभाओं ने, पाँचवी अनुसूची, पेसा कानून 1996 तथा वनाधिकार मान्यता कानून 2006 से प्रदत्त शक्तियों का उपयोग कर, सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर लगातार विरोध किया। इस संबंध में तथा खनन परियोजनाओं के आवंटन एवं स्वीकृति प्रक्रियाओं में गड़बड़ियों को उजागर करते हुए हजारों पत्र लिखे | प्रत्येक स्तर पर – तहसील, ज़िला, राज्य तथा राष्ट्रीय- संवाद एवं अनुरोध के कई प्रयास भी किए ।