HomeNATIONALCHHATTISGARHनिर्जला व्रत भीमसेनी एकादशी 11 जून को करना उत्तम

निर्जला व्रत भीमसेनी एकादशी 11 जून को करना उत्तम

राजिम 9 जून। निर्जला व्रत भीमसेनी एकादशी तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति निर्मित हो रही है। बताना होगा कि एकादशी तिथि 10 जून को शुक्रवार की सुबह 7:25 से शुरू हो रही है और अगले दिन 11 जून को शाम 5:45 तक रहेगी। पंचांग के अनुसार तिथि अगर सूर्योदय से पहले लग रही है तो उसे उदया तिथि कहते हैं। सूर्योदय के बाद लगने वाली तिथि अगले दिन ही मानी जाती है। एकादशी 10 जून को सूर्योदय के बाद 7:25 मिनट पर लग रही है इसे उदयातिथि नहीं माना जाएगा। एकादशी व्रत 11 जून को ही करना उत्तम रहेगा।

उल्लेखनीय है कि क्षेत्र में बड़ी संख्या में विष्णु भक्त एकादशी का कठिन व्रत करते हैं वैसे साल भर में 24 एकादशी होते हैं। माना जाता है कि निर्जला भीमसेनी एकादशी को करने से सभी एकादशी का फल मिल जाता है इसलिए सावधानी के साथ कठिन व्रत नियम का व्रती पालन करते हैं। धर्म नगरी राजिम के विष्णु मंदिरों में बड़ी संख्या में भीड़ रहती है प्रसिद्ध राजीवलोचन मंदिर में भजन कीर्तन के अलावा दर्शन पूजन के लिए दर्शनार्थी सुबह से लेकर देर रात तक भक्तिभाव में तल्लीन रहते हैं भगवान राजीवलोचन का दर्शन ही शुभ माना गया है।

बताना होगा कि द्वापर युग में पांचो पांडव में से एक भाई भीम बहुत ज्यादा खाने वाले थे उन्हें यह व्रत करने के लिए कहा तो बगैर भोजन के मैं नहीं रह सकता कहकर व्रत को करने से इंकार कर दिया और कहा कि मुझे ऐसे व्रत बताइए जिसे मात्र 1 दिन करने से पूरे सभी एकादशी करने का फल मिल जाए इतने पर उन्हें निर्जला एकादशी व्रत करने की जानकारी मिली और वह साल भर में एक बार एकादशी व्रत किया। इस तरह से इनका नाम भीमसेनी एकादशी पड़ गया। इस दिन गांव शहर सभी जगह सत्यनारायण भगवान की कथा, पूजन, रामायण, भजन, प्रवचन, कीर्तन आदि धार्मिक कार्य बड़ी संख्या में होते हैं।

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