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नोटबंदी के पर्दे के पीछे की असली सच्चाई, जानिए वेब सीरीज अवरोध में पूरी कहानी

नई दिल्ली। नोटबंदी (2016) के दिन क्या आपको अब भी याद आते हैं। क्या आपके दिमाग में भी अब भी सवाल कौंधता है कि अचानक क्यों एक हजार और पांच सौ रुपये के नोटों का चलन बंद कर दिया गया था। ऐसा है तो सोनी लिव पर रिलीज हुई वेब सीरीज अवरोधः द सीज विदिनः सीजन टू आपको एक अलग फील देगी। इसका पहला सीजन पसंद किया गया था। दशकों से पाकिस्तान द्वारा भारत के विरुद्ध छेड़े गए छद्म युद्ध को यह सीरीज सामने लाती है। दूसरे सीजन में दिखाया गया है कि पड़ोसी देश कैसे न सिर्फ भारत को सीमा समेत आतंकियों के विरुद्ध युद्ध में धकेलना चाहता है, बल्कि अर्थव्यवस्था भी बर्बाद करना चाहता है।

100 किलो आरडीएक्स

अवरोध का दूसरा सीजन रोचक है। इसमें पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई भारतीय बाजार को नकली नोटों भर देना चाहती है। जबकि अर्थव्यवस्था पहले ही मुश्किलों का समाना कर रही है। पाकिस्तान भारत में अलगाववादी ताकतों को बढ़ाने के लिए पानी की तरह पैसा बहाता है। कहानी बताती है कि एक पाकिस्तानी उद्योगपति एहसान (संजय सूरी) वहां के सेना प्रमुख जनरल अजीज (राजेश खट्टर) के साथ मिल कर भारत में नेटवर्क फैला रहा है। उसका मानना है कि सिर्फ हमलों से बात नहीं बनेगी, इकोनॉमी को भी घुटनों पर लाना होगा. वह तीन चरणों का प्रोग्राम बनाता है। भारत में एनजीओ चलाने वाली परवीना शहनाज (आहना कुमरा) उसकी मदद कर ही है। इनकी योजना एक साथ पच्चीस हवाई जहाजों समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में विस्फोट कराने की है। इसके लिए विभिन्न शहरों में सौ किलो आरडीएक्स पहुंचा दिया गया है। साथ ही करोड़ों रुपये भी भेजे गई हैं, ताकि जब विस्फोटों से अफरातफरी मची हो, तभी जाली नोटों को सीमा पार करा दिया जाए। लेकिन कभी सेना में काम कर चुके कर्नल प्रदीप भट्टाचार्य (अबीर भट्टाचार्य), जो अब इनकम टैक्स दफ्तर में अफसर हैं, वापस सेना में पहुंचते हैं और भारत विरोधी ऑपरेशन को नाकाम करते हैं।

अवरोध थ्रिलर है। करीब पौन-पौन घंटे की नौ कड़ियों वाली कहानी बांधती है। इसका फैलाव बहुत है। यहां देश में धमाकों के खतरे के साथ काले धन और टैक्स चोरी पर भी काफी बातचीत है। कुछ ट्रेक आर्थिक मामलों से जुड़े हैं और इससे नोटबंदी के ट्रेक को साधा गया है। कहानी में प्रधानमंत्री आतंकियों को मिलने वाली विदेशी आर्थिक मदद और अर्थव्यवस्था में जाली नोटों को डाले की वजह से अचानक नोटबंदी की घोषणा करते हैं।

पीएम क्या कहते हैं

मोहन अगाशे यहां प्रधानमंत्री की भूमिका में हैं। वह देश की सीमाओं और अर्थव्यवस्था को सुरक्षित बनाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों की कमेटी बनाते हैं। उनका लक्ष्य है, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा दोनों सेक्टरों को मजबूत बनाना। उनका डायलॉग हैः देश की एकता और सुरक्षा उसके आर्थिक सुधार से ही आ सकती है। अगाशे का लुक, गेट-अप और संवादों में झलकती चिंताएं प्रधानमंत्री मोदी की याद दिलाती हैं। अगाशे ने यह भूमिका खूबसूरती से निभाई है। प्रधानमंत्री के रूप में उनका किरदार बताता है कि क्यों देश में एकाएक नोटबंदी लाने का फैसला किया गया। हालांकि सीरीज देखते हुए कहीं-कहीं महसूस हो सकता है कि क्या यह सरकारी प्रवक्ता की तरह बात कर रही है।

अवरोध 2 में पाकिस्तान के भारत के विरुद्ध छेड़े युद्ध का मुंह तोड़ जवाब और नोटबंदी के पीछे के फैसले को आप चाहें तो सच की तरह देख सकते हैं या कहानी की तरह। सीरीज एंटरटेन करती है। प्रदीप भट्टाचार्य और उनके सैनिक साथी देश में फैले आरडीएक्स और नकली नोटों के जाल को खत्म करने के लिए लगातार सक्रिय रहते हैं। एक-एक कर उन्हें कामयाबी भी मिलती है। आखिरी एपिसोड में क्लाइमेक्स थोड़ा धीमा लेकिन रोचक है। अबीर भट्टाचार्य बंगाली फिल्मों के चर्चित अभिनेता हैं और सीरीज से उन्होंने हिंदी एंटरटेनमेंट की दुनिया में कदम रखा है। उनका स्क्रीन प्रेजेंस अच्छा है और डायलॉग डिलेवरी भी। वह अपनी भूमिका में प्रभावित करते हैं।

संजय सूरी और राजेश खट्टर के रोल जरूरत के हिसाब से सीमित रखे गए, जबकि आहना कुमरा का किरदार गुंजाइश होने के बावजूद सिमटा हुआ है। नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर के रोल में नीरज काबी और डिफेंस सेक्रेटरी के रूप में अनंत महादेवन की भूमिकाएं ठीक हैं। दोनों के पास प्रधानमंत्री कार्यालय में रहते हुए काम करने को अधिक कुछ नहीं था। सीरीज को खूबसूरती से शूट गिया गया है। इसे एडिटिंग से कसने की थोड़ी गुंजाइश जरूर थी। यह सीरीज शिव अरूर और राहुल  सिंह की किताब इंडियाज मोस्ट फीयरलैस 2 पर आधारित है। जिसमें देश की रक्षा में लगे जांबाजों की कहानियां हैं। जो आम तौर पर सामने नहीं आ पातीं। जिनकी खबर नहीं बन पाती। अगर आपने अवरोध का पहला सीजन देखा है और आपको देशभक्ति या सेना से जुड़े कथानक पसंद आते हैं तो दूसरा सीजन रोमांचित करेगा।

निर्देशकः राज आचार्य

सितारेः अबीर भट्टाचार्य, विजय कृष्णा, संजय सूरी, नीजर काबी, आहना कुमरा, मोहन अगाशे, अनंत महादेवन, राजेश खट्टर

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