“ओवैसी के फिलिस्तीन समर्थक नारे पर बरेली कोर्ट ने जारी किया नोटिस”

बरेली : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ बरेली की एक अदालत में याचिका दायर की गई है, जिसमें संसद के सदस्य के रूप में शपथग्रहण के बाद उन्होंने फिलिस्तीन का समर्थन करने का नारा लगाया था। वकील वीरेंद्र गुप्ता ने दावा किया कि ओवैसी ने संविधान और कानूनी मान्यताओं का उल्लंघन किया है और संसद में उनका यह बयान संविधान के खिलाफ था। इसके बाद अदालत ने ओवैसी को 7 जनवरी को कोर्ट में पेश होने का नोटिस जारी किया है।

इस याचिका में गुप्ता ने यह तर्क दिया कि ओवैसी का नारा संवैधानिक संदर्भ में स्वीकार्य नहीं था। उन्हें आरोपित किया गया कि उनके नारे से देश की कानून-व्यवस्था और संविधान की मर्यादा प्रभावित हो सकती है। हालांकि, ओवैसी ने अपनी शपथ के बाद नारे में फिलिस्तीन का समर्थन करते हुए “जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन” कहा था, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ। बाद में संसद के अध्यक्ष ने ओवैसी के इस बयान को हटाने का आदेश दिया। बावजूद इसके, ओवैसी ने मीडिया से बातचीत करते हुए अपने नारे को उचित ठहराया और कहा कि उसमें कुछ गलत नहीं था।

ओवैसी का यह बयान और उसके बाद की कानूनी कार्रवाई भारतीय राजनीति में संवैधानिक अनुशासन और सांसदों की जिम्मेदारी को लेकर एक महत्वपूर्ण चर्चा का कारण बना। वकील वीरेंद्र गुप्ता का मानना है कि सांसद के रूप में शपथ लेने के बाद, ओवैसी को अपने बयान पर पुनर्विचार करना चाहिए था, और उनका यह नारा भारतीय संविधान के मूल्यों के विपरीत था। बरेली की अदालत ने इस पर विचार करते हुए नोटिस जारी किया है और ओवैसी को 7 जनवरी को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।

इस घटना से यह साफ हो गया है कि संसद में कोई भी सार्वजनिक बयान देने से पहले संविधान और कानून की सीमाओं का पालन किया जाना चाहिए, और यह मामला भारतीय राजनीति में धर्म, राजनीति और संविधान के परिप्रेक्ष्य में बहस को नया मोड़ दे सकता है।