रायपुर। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेद कारगर है। राज्य शासन के आयुष संचालनालय के सहायक संचालक डॉ. विजय साहू ने कहा है कि आयु्र्वेद के जरिए हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ा सकते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता के बढ़ने से न केवल कोरोना वायरस जैसी महामारी से खुद को बचाया जा सकता है, बल्कि कई अन्य तरह के घातक वायरस से भी बचाव होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में कई तरह की जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों का उपयोग होता है। ये हमारे आसपास आसानी से उपलब्ध भी हैं।
गिलोय- गिलोय आजकल दवा और जूस के रूप में उपलब्ध है। इसे पानी में उबालकर भी पिया जा सकता है। इसे दैनिक आहार में शामिल कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है।
आंवला- आंवला की चटनी या रस का भी सेवन किया जा सकता है। यह च्यवनप्राश का प्रमुख घटक है। इसमें बड़ी मात्रा में विटामिन ‘सी’ मिलता है।
तुलसी- इसके सेवन से ऊपरी और निचले श्वसन तंत्र की बीमारियां जैसे खांसी, सर्दी या श्वास संबंधित कष्ट को दूर कर सकते हैं। तुलसी के पत्तों का भी सेवन किया जा सकता है या इसे हर्बल टी के तौर पर पिया जा सकता है।
हल्दी- आयुर्वेद में हल्दी को काफी गुणकारी माना गया है। यह हमारी रसोई में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होती है। इससे सूजन, श्वास, सर्दी-खांसी आदि रोग में मदद मिलती है। रोज खाने में डालने के अलावा हल्दी का पाउडर दूध में डालकर उसका सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
काली मिर्च- इसे भी आयुर्वेद में अहम स्थान दिया गया है। काली मिर्च को हल्दी में मिलाकर खा सकते हैं। यह सर्दी को जड़ से खत्म करने में काफी गुणकारी है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और आजकल गोलियों के रूप में भी उपलब्ध है।