“अरविंद केजरीवाल का भाजपा पर प्रहार: आंबेडकर विवाद में नया राजनीतिक मोर्चा”

दिल्ली:  आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भारतीय राजनीति में एक नए मोर्चे को खोलते हुए भाजपा की केंद्र सरकार को चुनौती दी है। उन्होंने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर के कथित अपमान को लेकर मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं और एनडीए के अहम सहयोगियों नीतीश कुमार (जेडीयू) और चंद्रबाबू नायडू (टीडीपी) से समर्थन वापस लेने का आग्रह किया है। इस मामले को और तूल देते हुए केजरीवाल ने उन दोनों नेताओं को लिखे पत्र को सार्वजनिक किया, जिसमें उन्होंने संसद में गृहमंत्री अमित शाह के बयान की आलोचना करते हुए इसे “बाबा साहब आंबेडकर और करोड़ों भारतीयों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला” बताया है।

केजरीवाल का आग्रह और पत्र की मुख्य बातें

अरविंद केजरीवाल ने अपने पत्र में कहा कि भाजपा नेतृत्व ने संसद में डॉ. आंबेडकर के सम्मान के विपरीत बयान दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सही ठहराकर देशवासियों की भावनाओं को आहत किया। पत्र में उन्होंने लिखा, “बाबा साहब केवल एक व्यक्ति नहीं हैं, वह हमारे देश की आत्मा और संविधान के निर्माता हैं। उनकी विरासत का अपमान किसी भी भारतीय के लिए असहनीय है। भाजपा के इस रवैये के कारण जनता चाहती है कि वह जो लोग बाबा साहब का सम्मान करते हैं, भाजपा का साथ छोड़ दें।”

इस विवाद को जोरदार रूप से उठाते हुए केजरीवाल ने दावा किया कि भाजपा को सत्ता से हटाने का समय आ गया है। उन्होंने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू से अनुरोध किया कि वे भाजपा से अपने राजनीतिक गठबंधन को समाप्त करें। केजरीवाल का यह बयान ऐसे समय आया है, जब लोकसभा में भाजपा के पास 240 सीटें हैं और जेडीयू और टीडीपी का समर्थन उनकी सरकार के लिए आवश्यक है।

गृहमंत्री अमित शाह का बयान और विवाद

गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में संविधान दिवस के अवसर पर दिए गए भाषण में कांग्रेस पर डॉ. आंबेडकर के प्रति उपेक्षात्मक रवैये का आरोप लगाया था। विपक्ष ने इसे डॉ. आंबेडकर का अपमान बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई। इस पर भाजपा ने सफाई देते हुए कहा कि विपक्ष उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहा है। अमित शाह ने एक प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि उनके पूरे भाषण को संदर्भ से काटकर केवल 12 सेकंड की एक क्लिप का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष देश में गलतफहमी फैलाने का प्रयास कर रहा है।

आप का बड़ा दांव

अरविंद केजरीवाल ने न केवल इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने का प्रयास किया है, बल्कि उन्होंने इस विवाद को जमीनी स्तर पर ले जाकर हर नागरिक तक पहुंचाने की बात कही है। उन्होंने घोषणा की है कि वह खुद दिल्ली में घर-घर जाकर इस मुद्दे पर लोगों से संवाद करेंगे और भाजपा के खिलाफ जन आंदोलन खड़ा करेंगे। साथ ही उन्होंने देशभर में भाजपा के खिलाफ व्यापक समर्थन जुटाने की योजना का संकेत दिया है।

सियासी हलचल और राजनीतिक समीकरण

यह कदम विपक्षी दलों के बीच भाजपा के खिलाफ गठबंधन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। यदि जेडीयू और टीडीपी भाजपा का समर्थन वापस लेती हैं, तो केंद्र की सत्ता के समीकरण बदल सकते हैं। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के लिए भाजपा से अलग होना आसान नहीं होगा, क्योंकि इससे उनकी खुद की राजनीतिक स्थिति प्रभावित हो सकती है।

डॉ. आंबेडकर भारतीय समाज के हर वर्ग के लिए समानता और न्याय के प्रतीक हैं। इस मुद्दे पर केजरीवाल ने बाबा साहब के सम्मान की रक्षा को अपनी रणनीति का केंद्र बनाते हुए जनता की भावनाओं को साधने का प्रयास किया है। उन्होंने दावा किया कि इस मामले ने भाजपा की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया है और जनता अब इससे नाराज है।

अरविंद केजरीवाल द्वारा उठाए गए इस कदम ने भारतीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। भाजपा की ओर से अमित शाह ने सफाई दी है, लेकिन विपक्षी दलों का हमला जारी है। इस विवाद ने न केवल राजनीति के क्षेत्र में गर्मी बढ़ाई है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या विपक्ष भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर सरकार के लिए चुनौती बन पाएगा। आने वाले दिनों में यह मामला भारतीय राजनीति के केंद्र में बने रहने की संभावना है।