अमित शाह ने आपराधिक मामलों के लिए समय सीमा तय करने की सिफारिश की, नए कानूनों पर बैठक में चर्चा

नई दिल्ली केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की, जिसमें नए आपराधिक कानूनों और उनके कार्यान्वयन पर चर्चा की गई। इस बैठक में गृह मंत्री ने विशेष तौर पर एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया, जिसमें कहा गया कि सभी आपराधिक मामलों के पंजीकरण से लेकर उनका निपटारा होने तक समय सीमा निर्धारित की जानी चाहिए। उनका मानना था कि इस प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए, प्रत्येक चरण के लिए स्पष्ट समय सीमा तय करनी चाहिए और उस दौरान संबंधित अधिकारियों को चरणवार अलर्ट जारी किए जाएं ताकि पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं को समय पर न्याय मिल सके।

गृह मंत्री ने बैठक में यह भी कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और अन्य संबंधित संगठनों के साथ मिलकर देशभर में अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस 2.0) तथा फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली (एनएएफआईएस) को बेहतर बनाने की जरूरत है। इसके साथ ही, जेलों, न्यायालयों, अभियोजन, फॉरेंसिक विभागों और भारतीय सेंटर फॉर जूडिशल सिस्टम 2.0 (आईसीजेएस 2.0) के साथ तकनीकी रूप से जोड़ा जा रहा प्रगति की भी समीक्षा की गई।

बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, एनसीआरबी के निदेशक, गृह मंत्रालय, एनसीआरबी और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। यह बैठक, खासकर नए कानूनों के लागू होने और उनके प्रभाव की समीक्षा करने के संदर्भ में हुई, और यह सुनिश्चित करने के लिए की गई कि प्रशासनिक और कानूनी प्रणाली में सुधार लाया जाए ताकि न्याय का वितरण प्रभावी तरीके से हो सके।

गौरतलब है कि, एक जुलाई से तीन नए महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेजों का कार्यान्वयन किया गया है—भारतीय न्याय संहिता (आईपीसी के स्थान पर), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (आईपीसी और पुराने कानूनों की जगह) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम—जो पुराने कानूनों की जगह ले चुके हैं। इनमें भारतीय न्याय संहिता में 511 धाराओं को घटाकर 358 धाराओं में बदला गया है। इसके अंतर्गत 21 नए अपराधों को जोड़ा गया है, 41 अपराधों में सजा की अवधि बढ़ाई गई है, और 82 अपराधों में दंड बढ़ाया गया है। इसके साथ ही, 25 अपराधों में न्यूनतम सजा अनिवार्य की गई है, 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का प्रावधान है और 19 धाराओं को समाप्त किया गया है। ये परिवर्तन भारतीय न्याय व्यवस्था को और भी सशक्त और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से किए गए हैं।

इस सभी प्रगति और कार्यवाही के अंतर्गत गृह मंत्री का फोकस रहा कि विधिक प्रणाली की प्रत्येक दिशा को मजबूत किया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि अपराधों की सजा जल्द और पारदर्शी तरीके से दी जाए, जिससे नागरिकों का विश्वास कानूनी प्रणाली पर बना रहे।