अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कहा है कि इन प्रतिबंधों का उद्देश्य ईरान पर वित्तीय दबाव बढ़ाना और उसके पेट्रोलियम व पेट्रोकेमिकल क्षेत्र की महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियों को बाधित करना है। साथ ही, यह सुनिश्चित करना है कि ईरान अपने मिसाइल कार्यक्रम और क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने वाले कार्यों के लिए आवश्यक राजस्व न जुटा सके। इस्राइल पर ईरान के हमले के जवाब में अमेरिका ने छह प्रमुख ईरानी संस्थाओं और छह जहाजों पर भी प्रतिबंध लगा दिए हैं, जो ईरानी पेट्रोलियम व्यापार में शामिल थे। इन संस्थाओं और जहाजों को अवरुद्ध संपत्ति के रूप में चिह्नित किया गया है, जो ईरान से पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद, बिक्री, ट्रांसपोर्ट, और मार्केटिंग में शामिल थे।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस्राइल को सुझाव दिया है कि वह ईरान के तेल क्षेत्रों पर हमले के विकल्पों पर विचार करे, ताकि ईरान की ऊर्जा आधारित अर्थव्यवस्था को कमजोर किया जा सके। हालांकि, खाड़ी के कई राज्य, जो इस्राइल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष को लेकर चिंतित हैं, वॉशिंगटन से इस्राइल को ऐसे कदम उठाने से रोकने की पैरवी कर रहे हैं। इन राज्यों को आशंका है कि यदि संघर्ष और गहराता है, तो उनकी खुद की सुविधाएं भी ईरानी प्रॉक्सी समूहों के हमले की चपेट में आ सकती हैं।
इसके अतिरिक्त, अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने ईरान के साथ जुड़े 10 अन्य संस्थाओं और 17 जहाजों पर भी प्रतिबंध लगाए हैं। इन पर आरोप है कि ये ईरानी नेशनल ऑयल कंपनी और ट्रिलिएंस पेट्रोकेमिकल कंपनी लिमिटेड के समर्थन में ईरानी पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खेप भेजने में शामिल थे। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि यह फैसला ईरान की वित्तीय गतिविधियों और उसके मिसाइल कार्यक्रमों पर रोक लगाने के लिए अहम साबित होगा। इसके साथ ही, यह प्रतिबंध ईरान को आतंकवादी संगठनों को मदद देने से भी रोकेगा, जो अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के लिए खतरा पैदा करते हैं।
अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि ये सख्त कदम न केवल ईरान के आक्रामक मंसूबों पर लगाम लगाएंगे, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने में भी मदद करेंगे। अमेरिका और इस्राइल के बीच इस संकट को लेकर जारी चर्चा में यह बात साफ हो गई है कि दोनों देश मिलकर ईरान के खिलाफ कड़े कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।