अद्भुत घटना: तीन दिन के नवजात के पेट में मिला भ्रूण, डॉक्टर्स भी रह गए दंग!

मध्य प्रदेश :  सागर जिले में एक दुर्लभ और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने मेडिकल जगत को हैरान कर दिया है। यहां एक नवजात शिशु के पेट में एक और बच्चे की मौजूदगी पाई गई है। इस दुर्लभ स्थिति को चिकित्सा जगत में ‘फीट्स इन फीटू’ (Fetus in Fetu) कहा जाता है, जो लाखों में से किसी एक केस में देखने को मिलती है। इस अनोखी स्थिति का पता तब चला जब महिला ने गर्भावस्था के 9वें महीने में अल्ट्रासाउंड कराया। रिपोर्ट में नवजात के पेट में एक और भ्रूण होने का संदेह हुआ। ऐसे केस इतने दुर्लभ होते हैं कि आज तक दुनिया में मात्र 200 ही मामले सामने आए हैं।

गर्भावस्था के 9वें महीने में हुआ संदेह

सागर जिले के केसली गांव की एक गर्भवती महिला, जो 9 महीने की गर्भवती थी, अपने नियमित चेकअप के लिए बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी विभाग में आई। वहां के विभागाध्यक्ष, डॉ. पीपी सिंह ने महिला के गर्भ में पल रहे शिशु के पेट में एक और बच्चे की मौजूदगी का संदेह जताया। उन्हें लगा कि यह भ्रूण का मामला हो सकता है या फिर टेरिटोमा ट्यूमर हो सकता है, जिसमें भ्रूण के विभिन्न हिस्से एक दूसरे के अंदर फंसे होते हैं। इसके बाद महिला को विशेष परीक्षण के लिए मेडिकल कॉलेज बुलाया गया।

सामान्य प्रसव और जटिल स्थिति

महिला को मेडिकल कॉलेज में ही प्रसव कराने की सलाह दी गई, लेकिन आशा कार्यकर्ता द्वारा महिला को केसली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां उसका सामान्य प्रसव हुआ। प्रसव के बाद डॉक्टरों ने पुष्टि की कि नवजात शिशु के पेट में एक और बच्चा है। इस स्थिति में बच्चे के जीवन को बचाने का एकमात्र उपाय सर्जरी है, जिसके लिए डॉक्टरों की एक विशेष टीम का गठन किया गया है और विचार-विमर्श जारी है।

मेडिकल इतिहास में दुर्लभ केस

डॉ. पीपी सिंह ने बताया कि यह उनकी चिकित्सा सेवा के दौरान देखा गया सबसे दुर्लभ केस है। चिकित्सा इतिहास में इस प्रकार के केस की संभावना लगभग 5 लाख में से 1 होती है। अब तक पूरी दुनिया में केवल 200 ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं। ‘फीट्स इन फीटू’ स्थिति तब होती है जब गर्भ में पल रहे जुड़वा भ्रूण में से एक भ्रूण दूसरे भ्रूण के अंदर समा जाता है, जिससे एक भ्रूण दूसरे के शरीर के अंदर बढ़ने लगता है।

नवजात का इलाज जारी

नवजात को जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया है, जहां विशेषज्ञ डॉक्टर उसके स्वास्थ्य पर लगातार नजर रख रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार, शिशु के जीवन को बचाने के लिए सर्जरी करना आवश्यक है, लेकिन इस जटिल सर्जरी से जुड़े जोखिम और इसके बाद की परिस्थितियों पर डॉक्टर विचार कर रहे हैं।

सामाजिक और धार्मिक पहलू

इस दुर्लभ घटना ने न केवल मेडिकल जगत बल्कि आम जनता का भी ध्यान आकर्षित किया है। लोग इस दुर्लभ मामले को एक अद्भुत घटना के रूप में देख रहे हैं और शिशु के अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। यह मामला सिर्फ मेडिकल क्षेत्र के लिए ही नहीं, बल्कि समाज के लिए भी एक चर्चा का विषय बन गया है, जो विज्ञान और जीवन की अनिश्चितताओं को दर्शाता है।

इस प्रकार, यह दुर्लभ और जटिल मामला एक बार फिर यह सिद्ध करता है कि मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं और चिकित्सा जगत में आज भी ऐसी अनोखी घटनाएं होती हैं, जो वैज्ञानिक और चिकित्सीय समझ को चुनौती देती हैं।