कृषि क्रांति: ग्राम झोडि़याबाड़म की दीदियों ने टमाटर और मिर्च की खेती से लिखी नई आर्थिक कहानी
दंतेवाड़ा : छत्तीसगढ़, एक कृषि प्रधान राज्य, ने पिछले वर्ष कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता देने के साथ ही कई योजनाओं को लागू किया है, जिसका स्पष्ट प्रभाव वर्तमान में देखा जा रहा है। परंपरागत खेती में नवीनतम तकनीकों का समावेश करते हुए, राज्य के किसान अब उन्नत और व्यावसायिक तरीकों से खेती कर रहे हैं। यह परिवर्तन न केवल उन्हें आर्थिक लाभ दे रहा है, बल्कि उनके खेती के दृष्टिकोण को भी बदल रहा है। विशेष रूप से, छत्तीसगढ़, जो पहले केवल धान की खेती के लिए जाना जाता था, अब शाक सब्जियों की खेती का भी प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है।
राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में, शाक सब्जियों की खेती तेजी से फैल रही है, विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में भी। वनांचल के ग्रामीण अब इस फसल की खेती में शामिल हो रहे हैं, जिससे यह एक लाभकारी विकल्प बन गया है। खासकर स्व सहायता समूहों की महिलाओं के लिए यह खेती नए अवसर लेकर आई है। इन महिलाओं को न केवल रोजगार मिला है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया है, जो गैर-परंपरागत कृषि को प्रोत्साहित करता है।
उदाहरण के लिए, ग्राम पंचायत झोडि़याबाड़म (कलार पारा) की जय मां दंतेश्वरी स्व सहायता समूह की महिलाएं, श्रीमती पीला बाई सेठिया और श्रीमती मालेश्वरी सेठिया, ने अपने कृषि कार्य में एक नई दिशा अपनाई है। पहले ये महिलाएं पारंपरिक खेती पर निर्भर थीं, जिससे उनकी आय सीमित थी। फिर, उन्होंने बिहान योजना से जुड़कर बैंक लिंकेज के माध्यम से अपने कार्य को बढ़ाने का निर्णय लिया।
इन महिलाओं ने उन्नत किस्म के टमाटर और मिर्ची की खेती शुरू की, जो अधिक उत्पादक और कीटों के प्रति प्रतिरोधी थीं। इसके साथ ही, उन्होंने ड्रिप इरिगेशन तकनीक अपनाई, जिससे पानी की बचत हो सकी और पौधों को सही मात्रा में जल मिल सका। इस परिवर्तन ने न केवल उनकी फसल के उत्पादन में वृद्धि की, बल्कि जल संसाधनों का सही उपयोग भी सुनिश्चित किया।
श्रीमती पीला बाई और श्रीमती मालेश्वरी ने रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक खाद का उपयोग करना भी शुरू किया, जिससे उनकी फसल की गुणवत्ता में सुधार आया और बाजार में उनके टमाटर की मांग बढ़ी। मल्चिंग तकनीक का उपयोग करके, उन्होंने मिट्टी की नमी बनाए रखी और खरपतवार को नियंत्रित किया, जिससे भूमि की उर्वरता बनी रही और फसल को अतिरिक्त लाभ हुआ।
इन महिलाओं के प्रयासों ने न केवल उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाया, बल्कि अन्य ग्रामीण महिलाओं को भी प्रेरित किया है कि वे भी लघु स्तर पर शाक सब्जियों की खेती करें। इन दीदियों ने अपने लिए एक अतिरिक्त आय का स्रोत बनाया है और इस प्रकार प्रगतिशील महिला कृषक का दर्जा प्राप्त किया है। इस प्रकार, छत्तीसगढ़ की कृषि में हो रहे इस बदलाव ने न केवल किसानों की जीवनशैली को बेहतर बनाया है, बल्कि समाज में महिलाओं की भूमिका को भी सशक्त किया है।