वनडे डेब्यू में शानदार प्रदर्शन के बाद हर्षित राणा डेथ ओवरों में गेंदबाजी की जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार
नागपुर: भारतीय क्रिकेट के उभरते सितारे हर्षित राणा ने अपने वनडे डेब्यू में ही अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा लिया। इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर में खेले गए सीरीज के पहले मैच में इस युवा तेज गेंदबाज ने न केवल विकेट चटकाए, बल्कि अहम मौकों पर इंग्लैंड की मजबूत बल्लेबाजी को झकझोर कर रख दिया। अपने पहले ही मैच में तीन विकेट झटककर उन्होंने इतिहास रच दिया, क्योंकि वह तीनों फॉर्मेट (टेस्ट, वनडे और टी20) के अपने पहले मैच में तीन या उससे अधिक विकेट लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज बन गए हैं।
हर्षित राणा टी20 क्रिकेट में डेथ ओवरों में प्रभावशाली गेंदबाजी के लिए पहचाने जाते हैं, लेकिन वनडे फॉर्मेट में अभी तक उनकी भूमिका नई गेंद और बीच के ओवरों तक सीमित रही है। हालांकि, मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने डेथ ओवरों में गेंदबाजी करने की चुनौती को स्वीकार करने की इच्छा जताई और कहा, “मैंने पहले भी डेथ ओवरों में अच्छी गेंदबाजी की है। मैं इसके लिए पूरी तरह तैयार हूं। यह प्रारूप कठिन है, क्योंकि इसमें आपको 10 ओवरों में अलग-अलग चरणों में अलग-अलग भूमिकाएं निभानी होती हैं।”
इंग्लैंड के खिलाफ वनडे डेब्यू: संघर्ष से सफलता तक का सफर
हालांकि, हर्षित राणा के लिए उनका पहला वनडे मैच काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। उनके पहले तीन ओवर बेहद चुनौतीपूर्ण थे, जहां उन्होंने अपने पहले ही ओवर में 11 रन लुटा दिए, लेकिन दूसरे ओवर में उन्होंने मेडन फेंककर वापसी की। तीसरे ओवर में भी वह अच्छी लाइन-लेंथ पर गेंदबाजी कर रहे थे, मगर फिलिप साल्ट ने उन पर लगातार चार चौके जड़ दिए और फिर एक छक्का लगाकर उन्हें दबाव में डाल दिया।
लेकिन हर्षित ने हार नहीं मानी और पावरप्ले के अंतिम ओवर में आक्रमण पर लौटते ही बेन डकेट और हैरी ब्रुक के विकेट चटकाए। उनके इस शानदार वापसी ने भारतीय टीम को मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया। इसके बाद मिडल ओवर्स में उन्होंने लियाम लिविंगस्टोन को भी पवेलियन भेजकर भारत को तीसरी सफलता दिलाई।
टी20 डेब्यू के बाद वनडे में भी चमके हर्षित राणा
हर्षित राणा को टी20 सीरीज में भी इंग्लैंड के खिलाफ खेलने का मौका मिला था। चौथे टी20 मैच में वह शिवम दुबे के कन्कशन सब्स्टीट्यूट के तौर पर मैदान पर उतरे थे और 3/33 के आंकड़ों के साथ भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि, उनके सब्स्टीट्यूशन को लेकर क्रिकेट जगत में मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई थीं। इंग्लैंड के कप्तान जोस बटलर और कुछ पूर्व क्रिकेटरों ने इस फैसले पर असंतोष व्यक्त किया था।
लेकिन हर्षित राणा इन सभी विवादों से बेपरवाह रहते हुए अपने खेल पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “लोग बातें करते रहेंगे, लेकिन मेरा लक्ष्य सिर्फ अपने देश के लिए अच्छा प्रदर्शन करना है। मैं बाहरी शोर पर ध्यान नहीं देता।”
डेथ ओवरों में गेंदबाजी के लिए तैयार हर्षित
वनडे डेब्यू में सात ओवरों में 3/53 के आंकड़े के साथ हर्षित राणा ने खुद को साबित किया। हालांकि, कप्तान रोहित शर्मा ने उन्हें डेथ ओवरों में इस्तेमाल नहीं किया और इसके बजाय कुलदीप यादव, अक्षर पटेल और रवींद्र जडेजा को अंतिम ओवरों में गेंद थमाई। लेकिन हर्षित राणा को उम्मीद है कि आने वाले मैचों में उन्हें डेथ ओवरों में भी आजमाया जाएगा। उन्होंने कहा, “मैंने पहले भी डेथ ओवरों में गेंदबाजी की है और इस चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार हूं।”
भविष्य की संभावनाएं और भारतीय क्रिकेट में हर्षित की जगह
हर्षित राणा के प्रदर्शन को देखकर क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि वह भारतीय टीम के तेज गेंदबाजी आक्रमण का अहम हिस्सा बन सकते हैं। उनकी गति, नियंत्रण और मुश्किल परिस्थितियों में शांत रहने की क्षमता उन्हें एक बेहतर डेथ ओवर विशेषज्ञ बना सकती है। अगर उन्हें लगातार मौके मिलते रहे, तो वह निश्चित रूप से भारत के लिए एक लंबी रेस के घोड़े साबित हो सकते हैं।
क्या आने वाले मैचों में कप्तान रोहित शर्मा उन पर डेथ ओवरों की जिम्मेदारी सौंपेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन एक बात तय है—हर्षित राणा अपने हर मौके को भुनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं