नेपाल में राजशाही की मांग के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पोस्टर लहराने पर बवाल, भारत-नेपाल संबंधों पर छिड़ी नई बहस
नेपाल: नेपाल में 2008 तक राजशाही शासन था। हालांकि, इसके बाद लोकतंत्र समर्थकों के प्रदर्शन शुरू हो गए, जिससे राजशाही को खत्म कर दिया गया और देश में चुनाव कराए गए।
हालांकि, इस रविवार (9 मार्च) को एक अजब घटना घटी। दरअसल, नेपाल के राजा ज्ञानेंद्र दो महीने तक धार्मिक दौरे पर पोखरा में रहने के बाद राजधानी काठमांडू लौटे थे। जब वे त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाहर उतरे तो उनके समर्थन में हजारों लोग जुट गए। इन लोगों में अधिकतर राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के कार्यकर्ता थे, जो कि राजशाही के समर्थन के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, काठमांडू में जुटी भीड़ इतनी ज्यादा थी कि इसे संभालना भी मुश्किल हो गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजा ज्ञानेंद्र का स्वागत करने के लिए सिर्फ एयरपोर्ट पर ही करीब 10 हजार लोग जुटे थे। इनमें आरपीपी के अध्यक्ष लिंगदेन और नेपाल प्रमुख कमल थापा समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। इसके अलावा रास्ते में जुटी यह भीड़ इतनी ज्यादा थी कि राजा ज्ञानेंद्र को एयरपोर्ट से घर तक पांच किमी की दूरी पूरी करने में ढाई घंटे का समय लग गया।
]बताया जाता है कि यह जनसैलाब इतना बड़ा था कि काठमांडू पुलिस को एयरपोर्ट से लेकर निर्मल निवास- राजपरिवार के घर तक सुरक्षा के इंतजाम करने पड़े। इस दौरान ही इस भीड़ में नारेबाजी शुरू हुई- हमें अपना राजा वापस चाहिए। कई लोग हाथों में इससे जुड़े पोस्टर लिए भी दिखाई दिए। इनमें ‘नेपाल से संघीय गणतांत्रिक प्रणाली को खत्म किया जाए’ और ‘राजशाही को वापस लाओ’ जैसे नारे लिखे थे। इतना ही नहीं इन पोस्टरों में राजा ज्ञानेंद्र और नेपाल के झंडे की तस्वीरें भी लगाई गई थीं। लोगों ने नेपाल में हिंदू धर्म को राष्ट्रीय धर्म घोषित करने की भी मांग की।