छात्रवृत्ति घोटाले में कलेक्टर की सख्त कार्रवाई, भ्रष्ट अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज, प्रशासनिक महकमे में हड़कंप

खरगोन :  मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में छात्रवृत्ति घोटाले का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें छात्रों के नाम पर फर्जी भुगतान कर लाखों रुपये का गबन किया गया। इस गंभीर भ्रष्टाचार मामले में जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है, और कलेक्टर भव्या मित्तल ने इस घोटाले में शामिल तीन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। इससे पहले भी भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई करने वाली आईएएस अधिकारी भव्या मित्तल एक बार फिर चर्चा में हैं।

यह मामला पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से जुड़ा हुआ है, जहां सहायक संचालक (AD) इतिशा जैन, डीडीओ क्रिएटर आशीष दुबे और लेखा प्रभारी शेखर रावत ने मिलकर करीब 84 लाख 39 हजार 977 रुपये की हेराफेरी की। यह राशि उन छात्रों को छात्रवृत्ति के रूप में दी जानी थी, जो उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक रूप से कमजोर थे। लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों ने डिजिटल सिग्नेचर और बैंक खातों में गड़बड़ी कर इस रकम का गबन कर लिया। कलेक्टर भव्या मित्तल की सख्ती के चलते इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ, और दोषी अधिकारियों पर कानूनी शिकंजा कसा गया।

जांच के अनुसार, यह हेराफेरी 2021-22 और 2022-23 के दौरान की गई थी। जिला कोषालय अधिकारी आनंद पटले, अपर कलेक्टर जेएस बघेल और सहायक आयुक्त प्रशांत आर्य की जांच समिति ने दस्तावेजों की पुष्टि के बाद इस गबन का खुलासा किया। आरोपियों ने छात्रों के बैंक खातों के विवरण में हेरफेर कर उनके नाम पर फर्जी भुगतान किया और राशि को अपने निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया। जांच के दौरान लेखा प्रभारी शेखर रावत ने खुद कबूल किया कि उसने कर्ज चुकाने के लिए यह फर्जीवाड़ा किया था। वहीं, सहायक संचालक इतिशा जैन ने खुद इस मामले की शिकायत की थी, लेकिन जांच में यह पाया गया कि उनकी मॉनिटरिंग में गंभीर लापरवाही थी। इसी तरह, डीडीओ क्रिएटर आशीष दुबे भी अपने दायित्वों का सही ढंग से निर्वहन नहीं कर पाए।

कलेक्टर भव्या मित्तल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इन तीनों अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही वसूली के आदेश भी जारी किए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में और भी लोग दोषी पाए गए तो उन पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि “OBC विभाग में क्रिएटर और अप्रूवर के डिजिटल सिग्नेचर के जरिए भुगतान किया गया, जिससे स्पष्ट है कि यह गड़बड़ी योजनाबद्ध तरीके से की गई थी।”

इस घोटाले के सामने आने के बाद प्रशासन ने विभाग के चार्ज को अस्थाई रूप से हस्तांतरित कर दिया है और दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। कलेक्टर ने कहा कि यह घोटाला उन छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है, जिनका हक मारकर अधिकारी अपनी जेबें भर रहे थे। विभाग का मुख्य उद्देश्य समाज के पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना था, लेकिन कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने इस योजना को लूटने का जरिया बना लिया।

अब इस मामले में पुलिस और प्रशासन दोनों मिलकर कार्रवाई कर रहे हैं, ताकि दोषियों को कड़ी सजा मिले और छात्रों के हक की राशि की भरपाई की जा सके। प्रशासन की इस सख्ती से सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार करने वालों में हड़कंप मच गया है और यह मामला सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता और प्रशासनिक ईमानदारी की दिशा में एक मिसाल बन सकता है।