तमिलनाडु में भाषा विवाद गहराया: भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई का सीएम स्टालिन पर पलटवार, बोले- ‘दोषारोपण से सच्चाई नहीं बदलेगी’

चेन्नई:  तमिलनाडु में नई शिक्षा नीति के तहत तीन भाषाओं को शामिल किए जाने के प्रस्ताव को लेकर भाजपा और डीएमके के बीच लगातार जुबानी जंग तेज होती जा रही है। भाजपा के इस कदम को लेकर डीएमके खुलकर विरोध जता रही है, जबकि भाजपा इसे जनता के हित में बताया रहा है। इसी बीच, भाजपा के तमिलनाडु अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने दावा किया है कि राज्य में उनके नेतृत्व में चलाए जा रहे ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान को जनता का भारी समर्थन मिल रहा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि उनके अभियान को महज 36 घंटों के भीतर तमिलनाडु में दो लाख से अधिक लोगों ने समर्थन दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जनता भाजपा की इस पहल के साथ है।

अन्नामलाई ने डीएमके और मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी पार्टी के अभियान से डीएमके असहज हो गई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि डीएमके सरकार भाषा को लेकर जनता को गुमराह कर रही है और हिंदी थोपे जाने की झूठी कहानी फैला रही है। अन्नामलाई ने मुख्यमंत्री स्टालिन को चुनौती देते हुए कहा कि अगर डीएमके को वास्तव में अपने विचारों पर भरोसा है, तो वे 2026 के विधानसभा चुनाव में इसे अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाकर जनता के बीच जाएं।

भाजपा के इस अभियान पर मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने पलटवार करते हुए इसे “सर्कस” करार दिया और कहा कि भाजपा का यह अभियान पूरे तमिलनाडु में हंसी का पात्र बन गया है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की जनता कभी भी हिंदी को जबरन थोपे जाने को स्वीकार नहीं करेगी और इतिहास इसका गवाह है कि जिसने भी इस तरह की कोशिश की है, उसे या तो चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है या फिर डीएमके के साथ आकर अपने विचार बदलने पड़े हैं। स्टालिन ने भाजपा पर तमिलनाडु की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में न तो ब्रिटिश औपनिवेशवाद स्वीकार किया गया था और न ही अब हिंदी को जबरन थोपे जाने की कोशिश को बर्दाश्त किया जाएगा।

इस विवाद के चलते तमिलनाडु की राजनीति में एक बार फिर भाषा का मुद्दा केंद्र में आ गया है। भाजपा का कहना है कि तीन-भाषा नीति से तमिलनाडु के छात्रों को फायदा होगा और वे देशभर में अधिक अवसरों का लाभ उठा सकेंगे, जबकि डीएमके इसे तमिल भाषा और संस्कृति पर खतरा बता रही है। आने वाले दिनों में यह विवाद और तेज हो सकता है, जिससे राज्य की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं।