औरंगजेब की तारीफ पर विवादों में घिरे सपा नेता अबू आजमी ने मांगी माफी, सफाई में कहा-बयान को गलत तरीके से पेश किया गया

नई दिल्ली :  समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अबू आजमी को उनके एक बयान के कारण तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, जिसमें उन्होंने मुगल शासक औरंगजेब के शासन को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि औरंगजेब के शासनकाल में भारत को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था और उस समय वैश्विक जीडीपी में देश की हिस्सेदारी 24% थी। इस बयान के बाद महाराष्ट्र में बवाल मच गया और भाजपा तथा एकनाथ शिंदे की शिवसेना सहित सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों ने सदन में जमकर विरोध जताया। इसके बाद अबू आजमी को अपने बयान पर सफाई देते हुए माफी मांगनी पड़ी।

अबू आजमी ने कहा कि उनका बयान किसी को आहत करने के लिए नहीं था, बल्कि उन्होंने इसे ऐतिहासिक तथ्यों और विद्वानों के बयानों के आधार पर दिया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि एक मीडिया कर्मी ने उनसे सवाल पूछा था, जिसमें असम के एक नेता द्वारा राहुल गांधी की तुलना औरंगजेब से किए जाने का जिक्र था। इसी संदर्भ में उन्होंने इतिहासकार अवध ओझा, राम पुनियानी और राजीव दीक्षित जैसे विशेषज्ञों की बातों को आधार बनाकर जवाब दिया था। हालांकि, आजमी ने यह भी कहा कि उनके शब्दों को गलत तरीके से प्रस्तुत कर विवाद खड़ा किया गया।

उन्होंने यह भी दोहराया कि वे छत्रपति शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज, शाहू जी महाराज, ज्योतिबा फुले और अन्य महापुरुषों का गहरा सम्मान करते हैं और उनके बारे में कभी भी कोई अनुचित टिप्पणी नहीं की है। फिर भी, अगर किसी को उनके बयान से ठेस पहुंची है, तो वे उसे वापस लेते हैं और क्षमा मांगते हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा को ऐसे मुद्दों पर रोकना राज्य की जनता के साथ अन्याय होगा और सदन में जनता के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए।

हालांकि, विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आजमी के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज करने की मांग की। वहीं, शिवसेना सांसद नरेश म्हास्के ने उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है। विरोधियों का कहना है कि अबू आजमी ने ऐसे शासक की तारीफ की है, जिसने छत्रपति शिवाजी महाराज को प्रताड़ित किया और उनके पुत्र संभाजी महाराज की नृशंस हत्या करवाई। इस मुद्दे पर राजनीति गरमा गई है और अब देखना होगा कि आगे क्या कार्रवाई होती है।