पेंटागन में बड़े बदलाव: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनरल सीक्यू ब्राउन जूनियर को ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के चेयरमैन पद से हटाया
वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को पेंटागन में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक बदलाव किए हैं, जिनमें सबसे अहम निर्णय जनरल सीक्यू ब्राउन जूनियर को ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के चेयरमैन पद से हटाना रहा। इस फैसले ने अमेरिकी सैन्य और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, क्योंकि जनरल ब्राउन को कुशल रणनीतिकार और अनुभवी सैन्य अधिकारी माना जाता था। वे इस पद पर 16 महीने तक रहे और इस दौरान उन्होंने यूक्रेन युद्ध, मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और वैश्विक सुरक्षा से जुड़े कई गंभीर मामलों को संभाला।
जनरल सीक्यू ब्राउन: एक प्रतिष्ठित सैन्य अधिकारी
जनरल सीक्यू ब्राउन जूनियर अमेरिकी सेना के सबसे सम्मानित अधिकारियों में से एक माने जाते हैं। वे इस पद पर पहुंचने वाले दूसरे अश्वेत व्यक्ति थे, जिन्हें उनकी काबिलियत और सेना में किए गए सुधारों के लिए जाना जाता था। उनके नेतृत्व में अमेरिकी सेना ने कई महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों को अंजाम दिया और उन्होंने रक्षा नीतियों में सुधार के लिए कई अहम पहल की।
जनरल ब्राउन को पद से हटाने के पीछे संभावित कारण
ट्रंप प्रशासन के इस अप्रत्याशित फैसले के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि ब्राउन की सैन्य नीतियों और सामाजिक मुद्दों पर उनके विचार इस फैसले की मुख्य वजह हो सकते हैं। कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
1. सेना में विविधता और समानता के समर्थन को लेकर मतभेद
- जनरल ब्राउन अमेरिकी सेना में विविधता और समान अवसर के प्रबल समर्थक थे।
- वे सैनिकों के भर्ती और पदोन्नति में नस्लीय समानता की वकालत करते थे, जिसे ट्रंप प्रशासन ने असहमति की दृष्टि से देखा।
- ट्रंप सरकार सेना में “राजनीतिक तटस्थता” बनाए रखने के नाम पर ऐसे अधिकारियों को हटाने की नीति अपना रही है, जो सामाजिक और नस्लीय न्याय जैसे मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं।
2. ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ आंदोलन का समर्थन
- वर्ष 2020 में जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद अमेरिका में ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ आंदोलन शुरू हुआ था।
- जनरल ब्राउन ने इस आंदोलन के दौरान सार्वजनिक रूप से कहा था कि अश्वेत होने के कारण उन्हें अपने सैन्य करियर में कई भेदभावों का सामना करना पड़ा।
- ट्रंप प्रशासन को यह बयान पसंद नहीं आया और तब से ही उनके प्रति असहमति बढ़ने लगी।
3. ट्रंप प्रशासन की सैन्य नीतियों से टकराव
- ब्राउन यूक्रेन को दी जाने वाली अमेरिकी सैन्य सहायता के प्रबल समर्थक थे, जबकि ट्रंप प्रशासन इस नीति को बदलना चाहता है।
- उन्होंने मध्य पूर्व में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति बनाए रखने की वकालत की थी, जबकि ट्रंप प्रशासन इस क्षेत्र से सैन्य बलों की वापसी पर जोर दे रहा था।
- वे नाटो गठबंधन और अंतरराष्ट्रीय सैन्य सहयोग को मजबूत करने के पक्षधर थे, जबकि ट्रंप की प्राथमिकता “अमेरिका फर्स्ट” नीति रही है।
पेंटागन में फेरबदल और आगे की रणनीति
ट्रंप प्रशासन की यह कार्रवाई पेंटागन में व्यापक बदलावों की ओर संकेत करती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप नई सैन्य नीति को किस दिशा में ले जाते हैं और कौन अधिकारी इस पद को संभालेंगे।
विश्लेषकों का मानना है कि इस बदलाव से अमेरिका की सैन्य नीति, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और सहयोग पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।