दिल्ली में सत्ता परिवर्तन: मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अगुवाई में नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक, मंत्रिमंडल गठन और जिम्मेदारियों के बंटवारे के साथ संतुलित प्रतिनिधित्व पर जोर

दिल्ली :  दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है, जहां मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली सचिवालय में अपनी पहली कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक भाजपा सरकार के शपथ ग्रहण के महज चार घंटे के भीतर आयोजित की गई, जिसमें मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर दिया गया। नई सरकार में सत्ता संतुलन और प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल का गठन किया गया है, जिसमें विभिन्न समुदायों को उचित स्थान देने की रणनीति अपनाई गई है।

नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें न केवल डिप्टी मुख्यमंत्री बनाया गया है, बल्कि शिक्षा, परिवहन और लोक निर्माण विभाग (PWD) की अहम जिम्मेदारी भी दी गई है। माना जा रहा था कि प्रवेश वर्मा मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे थे, लेकिन पार्टी ने रेखा गुप्ता पर भरोसा जताते हुए उन्हें दिल्ली की कमान सौंपी।

इसके अलावा, रोहिणी से चौथी बार विधायक बने भाजपा के वरिष्ठ नेता विजेंद्र गुप्ता को विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) और मुस्तफाबाद से विधायक मोहन सिंह बिष्ट को डिप्टी स्पीकर बनाए जाने की संभावना है। भाजपा ने मंत्रिमंडल में सिख, जाट, वैश्य, दलित और पूर्वांचल के नेताओं को उचित प्रतिनिधित्व देने की पूरी कोशिश की है, जिससे सरकार को व्यापक जनसमर्थन मिल सके।

भाजपा ने अपने सिख चेहरे के रूप में मनजिंदर सिंह सिरसा को मंत्रिमंडल में शामिल किया है। सिरसा, जो राजौरी गार्डन से तीसरी बार विधायक चुने गए हैं, दिल्ली में भाजपा की सिख राजनीति का प्रमुख चेहरा माने जाते हैं। उनकी मौजूदगी से हरि नगर, जंगपुरा और अन्य सिख बहुल क्षेत्रों में भाजपा को मजबूती मिलने की उम्मीद है।

इसके अलावा, भाजपा ने पूर्वांचल समुदाय से आने वाले दो प्रमुख नेताओं, कपिल मिश्रा और पंकज सिंह, को भी मंत्री बनाया है, जिससे दिल्ली की पूर्वांचली आबादी को साधने की कोशिश की गई है। इसी तरह, दलित समुदाय से आने वाले रविंदर इंद्राज को भी मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है, जिससे भाजपा अपने सामाजिक समीकरणों को संतुलित करने में सफल रही है।

भाजपा ने पंजाबी समुदाय के वरिष्ठ नेता आशीष सूद को भी मंत्री पद देकर उन्हें सम्मानित किया है। पार्टी ने यह सुनिश्चित किया है कि दिल्ली के सभी प्रमुख जातीय और सामाजिक समूहों को मंत्रिमंडल में स्थान मिले, जिससे विभिन्न वर्गों का संतुलित प्रतिनिधित्व हो सके।

नई सरकार के गठन के साथ ही दिल्ली में एक नई राजनीतिक दिशा तय हो चुकी है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और उनकी टीम के सामने कई बड़ी चुनौतियाँ हैं, जिनमें दिल्ली की बुनियादी सुविधाओं का विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के साथ-साथ कानून व्यवस्था को मजबूत बनाना शामिल है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा की यह नई सरकार किस तरह से अपने चुनावी वादों को पूरा करती है और दिल्ली की जनता की अपेक्षाओं पर कितनी खरी उतरती है।