ट्रंप प्रशासन का विवादित फैसला: ‘मैक्सिको की खाड़ी’ का नाम बदलने पर बढ़ा अंतरराष्ट्रीय तनाव
वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में लगातार बड़े और विवादास्पद फैसले ले रहे हैं। इसी कड़ी में अमेरिका ने ‘मैक्सिको की खाड़ी’ (Gulf of Mexico) का नाम बदलकर ‘अमेरिका की खाड़ी’ (Gulf of America) रखने की घोषणा की है। इस फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भूचाल आ गया है, खासकर मैक्सिको सरकार ने इस कदम पर कड़ा ऐतराज जताया है। यह कदम ट्रंप प्रशासन की अमेरिका-प्रथम (America First) नीति का एक और उदाहरण माना जा रहा है।
व्हाइट हाउस का बयान
व्हाइट हाउस ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि फ्लोरिडा से टेक्सास होते हुए मैक्सिको तक फैले इस जल निकाय को अब ‘अमेरिका की खाड़ी’ के नाम से पहचाना जाएगा। अमेरिका ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अन्य देशों पर भी इस नाम को मान्यता देने का दबाव बना रहा है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि यह निर्णय अमेरिकी संप्रभुता और पहचान को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि यह बदलाव न केवल अमेरिकी नागरिकों के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए आवश्यक है।
मैक्सिको की कड़ी प्रतिक्रिया
ट्रंप के फैसले के तुरंत बाद मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने इस कदम को खारिज करते हुए कहा कि, “हमारे लिए यह अब भी ‘मैक्सिको की खाड़ी’ है और पूरी दुनिया के लिए भी यही नाम रहेगा।” उन्होंने ट्रंप प्रशासन पर अमेरिकी आधिपत्य को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाने की बात कही।
गूगल और मीडिया की भूमिका
अमेरिका में गूगल मैप्स ने इस बदलाव को तुरंत लागू कर दिया और अमेरिकी उपयोगकर्ताओं के लिए इसे ‘अमेरिका की खाड़ी’ के रूप में दिखाना शुरू कर दिया। गूगल ने कहा कि वह अमेरिकी सरकारी दिशानिर्देशों का पालन कर रहा है। हालांकि, समाचार एजेंसी ‘एसोसिएटेड प्रेस’ (AP) ने कहा कि वह ‘मैक्सिको की खाड़ी’ नाम का ही उपयोग जारी रखेगा। एपी का कहना है कि एक अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी के रूप में वह केवल वही नाम इस्तेमाल करेगी, जिसे वैश्विक स्तर पर पहचाना जाता है।
ट्रंप प्रशासन और मीडिया के बीच तनाव
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले का विरोध करने पर व्हाइट हाउस ने एपी के पत्रकारों पर सरकारी कार्यक्रमों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया। व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि जो समाचार संगठन इस बदलाव को स्वीकार नहीं कर रहे हैं, वे झूठ फैला रहे हैं और उन्हें अमेरिकी सरकारी आयोजनों में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
वैश्विक प्रभाव और आगे की राह
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से अमेरिका-मैक्सिको संबंधों में और अधिक तनाव बढ़ने की संभावना है। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे को लेकर विभाजित नजर आ सकता है। कुछ देश अमेरिका के इस फैसले का समर्थन कर सकते हैं, जबकि अन्य इसे भू-राजनीतिक वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश के रूप में देख सकते हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं। क्या यह केवल नाम बदलने का मामला रहेगा, या फिर यह एक बड़ा कूटनीतिक विवाद बन जाएगा?