इंडिया गठबंधन में हलचल तेज: आदित्य ठाकरे ने उठाए चुनाव प्रक्रिया और लोकतंत्र पर सवाल

 नई दिल्ली महाराष्ट्र चुनाव के बाद अब दिल्ली में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) की हार से विपक्ष में नाराजगी और असंतोष का माहौल देखने को मिल रहा है। चुनावी नतीजों के बाद इंडिया गठबंधन में हलचल तेज हो गई है, और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। इसी बीच, शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए लोकतंत्र की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि आज देश में चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से हो रहे हैं या नहीं, इस पर सवाल खड़े हो गए हैं।

आदित्य ठाकरे का कड़ा बयान: “यह अब लोकतंत्र नहीं रहा”

दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत के दौरान आदित्य ठाकरे ने केंद्र सरकार, चुनाव प्रक्रिया और लोकतंत्र पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “हम सोचते हैं कि हम एक लोकतांत्रिक देश में रह रहे हैं, लेकिन वास्तविकता इससे अलग है। यह अब लोकतंत्र नहीं रहा। महाराष्ट्र, लोकसभा और अब दिल्ली में जो हुआ, वह केवल हमारे साथ नहीं बल्कि भविष्य में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू के साथ भी हो सकता है।”

आदित्य ठाकरे ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात की थी और जल्द ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मिलने वाले हैं। उन्होंने कहा कि देश के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है और लोकतंत्र पर खतरा मंडरा रहा है।

चुनावी नतीजों पर सवाल: ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप

आदित्य ठाकरे और इंडिया गठबंधन के अन्य नेताओं ने लगातार चुनावी प्रक्रिया और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, “हमें नहीं पता कि मतदाता धोखाधड़ी और ईवीएम गड़बड़ी के बीच हम किस दिशा में जा रहे हैं। भारत में अब चुनाव निष्पक्ष नहीं रहे। विपक्षी दलों की हार कोई सामान्य बात नहीं है, बल्कि यह एक साजिश का हिस्सा लगती है।”

यह पहला मौका नहीं है जब विपक्ष ने चुनाव में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं। इससे पहले भी विभिन्न राज्यों के विधानसभा और लोकसभा चुनावों के बाद ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाते रहे हैं।

शरद पवार और एकनाथ शिंदे पर भी साधा निशाना

चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाने के साथ-साथ आदित्य ठाकरे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार पर भी परोक्ष रूप से निशाना साधा। उन्होंने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को सम्मानित करने के शरद पवार के फैसले पर नाराजगी जाहिर की।

आदित्य ने कहा, “मैं शरद पवार जी की उम्र, वरिष्ठता और सिद्धांतों का सम्मान करता हूं, लेकिन हमारी विचारधारा साफ है कि हम कभी भी उस व्यक्ति (एकनाथ शिंदे) का सम्मान नहीं करेंगे, जिसने न केवल हमारी पार्टी और परिवार को विभाजित किया, बल्कि महाराष्ट्र की रीढ़ कही जाने वाली औद्योगिक संरचना को भी नुकसान पहुंचाया। जो महाराष्ट्र का द्रोही है, वह देश का भी द्रोही होता है।”

दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा की वापसी, विपक्ष के लिए बड़ा झटका

दिल्ली चुनाव के नतीजों ने विपक्षी दलों को गहरा झटका दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस-आप गठबंधन को भारी अंतर से हराते हुए 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की है। इससे पहले महाराष्ट्र चुनावों में भी विपक्षी गठबंधन (एमवीए) को करारी हार का सामना करना पड़ा था, और महायुति गठबंधन ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी।

दिल्ली और महाराष्ट्र में हार के बाद विपक्षी दलों ने चुनावी प्रक्रिया और ईवीएम पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। इंडिया गठबंधन का दावा है कि इन चुनावों में मतदान प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं, और यह निष्पक्ष चुनाव नहीं थे।

इंडिया गठबंधन में फूट के संकेत?

दिल्ली और महाराष्ट्र चुनावों में हार के बाद इंडिया गठबंधन के अंदर खींचतान और असंतोष के संकेत भी मिलने लगे हैं। जहां कुछ नेता चुनावी रणनीति पर पुनर्विचार की बात कर रहे हैं, वहीं कई नेता खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।

आदित्य ठाकरे ने यह भी कहा कि “भारत गठबंधन का नेतृत्व किसी एक व्यक्ति के हाथ में नहीं है। यह किसी के अहंकार की लड़ाई नहीं, बल्कि देश के भविष्य की लड़ाई है।” उनके इस बयान से स्पष्ट है कि गठबंधन के अंदर किसी तरह की नेतृत्व की लड़ाई को लेकर भी चर्चा हो रही है।

निष्कर्ष: चुनावी राजनीति में बढ़ता टकराव

देश की राजनीति में चुनावी नतीजों के बाद बढ़ता विवाद एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। विपक्षी दल हार को लेकर नाराज हैं और ईवीएम सहित संपूर्ण चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। वहीं, भाजपा और सत्ताधारी दल इन आरोपों को खारिज कर रहे हैं और इसे विपक्ष की हताशा करार दे रहे हैं।

आने वाले समय में इस विवाद का क्या असर पड़ेगा और इंडिया गठबंधन इस स्थिति से कैसे उबरता है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। लेकिन इतना तय है कि चुनावी राजनीति में टकराव और आरोप-प्रत्यारोप का दौर अभी जारी रहेगा।