श्रीकोट आश्रम में गुरुमाता पूर्णिमा जी की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पहुंचे मुख्यमंत्री, श्रद्धा और आस्था का भव्य आयोजन

रायपुर:   छत्तीसगढ़ के बलरामपुर स्थित श्रीकोट आश्रम में आज एक दिव्य और ऐतिहासिक आयोजन संपन्न हुआ, जहां परम पूज्य संत गहिरा गुरु जी की धर्मपत्नी माता पूर्णिमा जी के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सहित अनेक गणमान्य नागरिक, संत समाज, आदिवासी समुदाय के वरिष्ठ सदस्य और श्रद्धालु उपस्थित रहे।

इस पवित्र आयोजन के दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने माता पूर्णिमा जी और संत गहिरा गुरु जी के योगदान को नमन करते हुए कहा कि यह हम सभी के लिए अत्यधिक गौरव और सौभाग्य का विषय है कि हम इस पावन स्थल पर एकत्रित होकर समाज कल्याण और आध्यात्मिक उत्थान में उनके योगदान को स्मरण कर रहे हैं।

माता पूर्णिमा जी: त्याग, तपस्या और समाज सेवा की प्रेरणास्रोत

मुख्यमंत्री साय ने माता पूर्णिमा जी की महानता को रेखांकित करते हुए कहा कि उनका संपूर्ण जीवन त्याग, तपस्या और समाज सेवा की अद्वितीय मिसाल प्रस्तुत करता है। उन्होंने समाज के उत्थान के लिए अपने व्यक्तिगत सुखों का त्याग किया और जनकल्याण को ही अपने जीवन का परम लक्ष्य बनाया। उनका विग्रह न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह हमें यह प्रेरणा भी देता है कि हम भी अपने जीवन को सेवा और सद्भाव के लिए समर्पित करें।

मुख्यमंत्री ने माता पूर्णिमा जी के योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि उनकी जीवनशैली और उनके द्वारा किए गए कार्यों से हम सभी को समाज की सेवा करने की प्रेरणा मिलती है। उनकी निष्ठा, तपस्या और सेवा-भावना का अनुसरण करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

संत गहिरा गुरु जी: सामाजिक और आध्यात्मिक चेतना के अग्रदूत

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने संत गहिरा गुरु जी के अमूल्य योगदान का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि गहिरा गुरु जी ने गृहस्थ जीवन में रहकर भी समाज सेवा का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने असहाय, निर्धन और पीड़ित लोगों की सेवा को अपना परम धर्म माना और सत्य, शांति, दया और क्षमा के सिद्धांतों को अपने जीवन का आधार बनाया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संत गहिरा गुरु जी का योगदान विशेष रूप से आदिवासी समाज के उत्थान में अद्वितीय रहा है। उन्होंने इस समुदाय को आत्मनिर्भरता, शिक्षा और सामाजिक समानता का मार्ग दिखाया। उनके उपदेशों के माध्यम से आदिवासी समुदाय को सत्य सनातन धर्म की गहरी समझ मिली और सामाजिक तथा आर्थिक सुधार की दिशा में एक नई शुरुआत हुई।

गहिरा गुरु महाराज के विचारों से आदिवासी समाज को मिली नई दिशा

मुख्यमंत्री ने बताया कि विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में संत गहिरा गुरु महाराज के विचारों ने सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास को प्रेरित किया। उनके मार्गदर्शन में आदिवासी समाज ने आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाए और आज उनकी शिक्षाओं को आत्मसात कर समाज निरंतर प्रगति कर रहा है।

उन्होंने इस अवसर पर अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा कि रायगढ़ के सांसद रहते हुए उन्हें संत गहिरा गुरु जी के जन्मग्राम को गोद लेने और उसके सर्वांगीण विकास का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि यह उनके जीवन का एक अत्यंत गौरवपूर्ण क्षण था, जब उन्हें गुरु महाराज के सान्निध्य और आशीर्वाद का लाभ मिला।

मुख्यमंत्री साय ने यह भी कहा कि गहिरा गुरु महाराज के विचारों के प्रभाव से समाज में संस्कृत महाविद्यालयों की स्थापना हो रही है और आदिवासी समुदाय शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ रहा है। यह उनके द्वारा रोपे गए संस्कारों का ही परिणाम है कि समाज में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं।

समारोह में श्रद्धालुओं और समाज के गणमान्य लोगों की भागीदारी

इस भव्य समारोह में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के वरिष्ठ नागरिक, संत समाज के प्रतिनिधि, श्रद्धालु और गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। सभी ने माता पूर्णिमा जी के विग्रह के दर्शन किए और उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर क्षेत्रवासियों को शुभकामनाएं देते हुए आह्वान किया कि वे माता पूर्णिमा जी और संत गहिरा गुरु जी की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाकर समाज को एक नई दिशा देने में सक्रिय भागीदारी निभाएं। उन्होंने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके बताए मार्ग पर चलें और समाज के सर्वांगीण विकास में योगदान दें।