ट्रंप प्रशासन का बड़ा फैसला: संघीय कर्मचारियों को 8 महीने की सैलरी देकर बाहर करने की तैयारी, छंटनी को लेकर मचा हड़कंप

वॉशिंगटन अमेरिका में संघीय कर्मचारियों को लेकर ट्रंप प्रशासन ने एक चौंकाने वाला फैसला लिया है। प्रशासन ने उन कर्मचारियों को आठ महीने का वेतन देकर स्वेच्छा से इस्तीफा देने का विकल्प दिया है, जो अगले हफ्ते तक नौकरी छोड़ने को तैयार होंगे। इस फैसले के तहत करीब 20 लाख संघीय कर्मचारियों को ईमेल भेजकर यह प्रस्ताव दिया गया है। अमेरिकी सरकार की मानव संसाधन एजेंसी (ओपीएम) ने इस मामले में निर्देश जारी करते हुए कहा कि संघीय कार्यबल को और अधिक पारदर्शी और कार्यकुशल बनाने के लिए कुछ सख्त कदम उठाने होंगे। इसमें कर्मचारी आचरण और उपयुक्तता मानकों को बढ़ाने के साथ-साथ भविष्य में और छंटनी की संभावनाएं भी जताई गई हैं।

संघीय कर्मचारियों को स्वैच्छिक विदाई योजना का प्रस्ताव

मंगलवार को जारी किए गए इस आधिकारिक फैसले में बताया गया कि यदि कोई कर्मचारी प्रशासन की शर्तों को स्वीकार करते हुए अपना पद छोड़ता है, तो उसे सितंबर 2025 तक आठ महीने की पूरी सैलरी और अन्य लाभ दिए जाएंगे। हालांकि, जो कर्मचारी 6 फरवरी 2025 तक इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे, उनके लिए आगे कोई राहत नहीं दी जाएगी और भविष्य में छंटनी के दायरे में आ सकते हैं। ट्रंप प्रशासन के इस कदम से संघीय कर्मचारियों के बीच चिंता बढ़ गई है।

टेस्ला के सीईओ एलन मस्क की अध्यक्षता वाले सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) के सलाहकार बोर्ड में शामिल केटी मिलर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि प्रशासन की ओर से दो मिलियन से अधिक संघीय कर्मचारियों को इस बारे में आधिकारिक ईमेल भेजे गए हैं। अमेरिकी नागरिक कार्यबल का लगभग 1.9% संघीय सरकार के तहत आता है, जिसमें रक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और कानून प्रवर्तन से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं।

ट्रंप प्रशासन के निर्देश: कर्मचारी कार्यस्थल पर लौटें, वरना नौकरी खो सकते हैं

ट्रंप प्रशासन ने संघीय कर्मचारियों को काम के लिए ऑफिस लौटने का आदेश भी दिया है। निर्देश के मुताबिक, कोविड-19 के बाद घर से काम कर रहे कर्मचारियों को अब सप्ताह में पांच दिन कार्यालय में उपस्थित होना अनिवार्य होगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते एक बयान में कहा था, “संघीय कर्मचारियों को अब अपने कार्यालय में नियमित रूप से काम करना होगा। अगर कोई ऐसा नहीं करना चाहता तो उसके पास यह नौकरी रखने का कोई विकल्प नहीं रहेगा।” इस फैसले का लक्ष्य सरकार की कार्यक्षमता को बढ़ाना और कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करना है।