“राहुल गांधी का आरोप, जीएसटी को गरीबों को समाप्त करने का औजार बताकर सरकार की नीतियों की की कड़ी आलोचना”

मध्य प्रदेश:  राहुल गांधी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आज मध्य प्रदेश के मऊ में ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ रैली में जोरदार तरीके से संबोधित किए। इस दौरान उन्होंने भारतीय राजनीति में एक गंभीर विचारधारात्मक संघर्ष की बात की और कहा कि वर्तमान समय में देश में दो अलग-अलग विचारधाराओं के बीच की लड़ाई चल रही है। एक ओर कांग्रेस है जो भारतीय संविधान को मान्यता देती है, जबकि दूसरी ओर आरएसएस और बीजेपी जैसी ताकतें हैं, जो संविधान के खिलाफ जाकर उसे समाप्त करने की कोशिश कर रही हैं। राहुल गांधी ने कहा कि संविधान देश के हर वर्ग के लोगों का अधिकार सुनिश्चित करता है, और यह महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव आंबेडकर जैसी महान शख्सियतों के विचारों का प्रतिबिंब है।

राहुल गांधी ने खासकर मोहन भागवत द्वारा दिए गए बयान का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि भारत को 15 अगस्त 1947 को आज़ादी नहीं मिली, बल्कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश को वास्तविक आज़ादी मिली। इस बयान को राहुल गांधी ने कठोर आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे विचारों से संविधान और उसके उद्देश्य पर हमला किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि संविधान को खत्म कर दिया गया, तो इससे देश के गरीबों, दलितों, आदिवासियों और पिछड़ी जातियों के लिए कोई भी अधिकार नहीं रहेगा और उनका संघर्ष और अस्मिता समाप्त हो जाएगी।

उन्होंने ये भी कहा कि वर्तमान समय में देश में बेरोजगारी बढ़ रही है, जबकि बड़े उद्योगपति अपने अनगिनत संसाधनों को एक तरह से नष्ट कर रहे हैं। इसके उदाहरण के रूप में उन्होंने गौतम अडानी और मुकेश अंबानी का नाम लिया, जिनके पास भारी मात्रा में धन है, जबकि आम आदमी के पास रोजगार की कमी हो रही है। जीएसटी पर राहुल गांधी ने इसे गरीबों को खत्म करने का एक औजार करार दिया और कहा कि इसका बोझ सिर्फ आम जनता पर है, जबकि बड़े व्यापारियों को छूट दी जाती है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने उद्योगपति मित्रों को हजारों करोड़ रुपये के टैक्स माफ किए हैं।

राहुल गांधी ने पेट्रोल की कीमतों पर भी आक्षेप किया, यह कहकर कि जब अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में पेट्रोल की कीमतों में गिरावट आ रही थी, तब भी देश में पेट्रोल की कीमतें उच्च बनी रहीं, और इसका सीधा फायदा बड़े उद्योगपतियों को हो रहा है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आज़ादी के बाद, देश में आम आदमी और खासकर वंचित वर्ग के लिए महत्वपूर्ण बदलाव आए, लेकिन बीजेपी और आरएसएस का मकसद है कि पुराने दिन लौटाएं जब गरीबों और पिछड़ों का कोई अधिकार नहीं था।

राहुल गांधी का यह भाषण देश के आर्थिक और सामाजिक असमानताओं की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए स्पष्ट रूप से सरकार की नीतियों की आलोचना था। उन्होंने यह सिद्धांत भी रखा कि बीजेपी और आरएसएस के सत्ता में आने से, उन वर्गों का पुनर्निर्माण हो सकता है, जिन्हें आज संविधान के माध्यम से उनकी अधिकार की रक्षा मिल रही है।