“रायपुर एम्स के डॉक्टर पर यौन उत्पीड़न का आरोप: आंतरिक जांच रिपोर्ट में दोषी, लेकिन प्रबंधन की निष्क्रियता पर सवाल”

रायपुर :  रायपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एक वरिष्ठ डॉक्टर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगने से संस्थान और स्वास्थ्य जगत में खलबली मच गई है। पीड़िताओं में एक महिला मरीज और दो जूनियर डॉक्टर शामिल हैं, जिन्होंने आरोपी डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मामले में एम्स की आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट में डॉक्टर को दोषी पाया गया है, लेकिन प्रबंधन की निष्क्रियता ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।

मामले का विवरण

पीड़ित महिला मरीज ने बताया कि वह जनवरी 2022 से एम्स के फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (PMR) विभाग में अर्थराइटिस की समस्या के इलाज के लिए जा रही थी। उसी दौरान, इलाज के दौरान, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमोल बी. खडे ने उनके साथ अनुचित व्यवहार किया। शिकायत के अनुसार, डॉक्टर ने उनके शरीर के संवेदनशील हिस्सों को अनुचित तरीके से छुआ, जिससे वह असहज हो गईं।

पीड़िता ने कहा कि इस घटना के बाद उन्होंने उस विभाग में जाना बंद कर दिया। आरोप केवल मरीज तक सीमित नहीं रहे, बल्कि दो जूनियर डॉक्टरों ने भी डॉ. अमोल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके साथ भी ऐसी ही हरकत की गई।

जांच और रिपोर्ट्स

इस गंभीर मामले के मद्देनजर एम्स प्रबंधन ने आठ सदस्यों की एक आंतरिक समिति का गठन किया। इस समिति की जांच में पाया गया कि डॉ. अमोल बी. खडे पर लगाए गए आरोप सही हैं। रिपोर्ट में आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

हालांकि, दूसरी जांच रिपोर्ट में उन्हें निर्दोष बताया गया है। इसके बावजूद, पीड़िता को समिति ने कानूनी कदम उठाने का सुझाव दिया है। इस मिश्रित रिपोर्ट ने संस्थान की जिम्मेदारी को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

एम्स प्रबंधन की चुप्पी और विरोध

आंतरिक समिति की रिपोर्ट आने के बावजूद, एम्स प्रबंधन की ओर से अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे पीड़िताओं और समाज में निराशा का माहौल बना हुआ है। पीड़िताओं और उनके परिवारों का कहना है कि प्रबंधन की निष्क्रियता से उनकी पीड़ा और बढ़ गई है।

कानूनी रास्ता और आगे की स्थिति

पीड़ित महिला और जूनियर डॉक्टरों ने अब प्रबंधन की उदासीनता के कारण कानूनी सहायता लेने का मन बनाया है। इस घटना ने चिकित्सा संस्थानों में कार्यस्थल की सुरक्षा और यौन उत्पीड़न के मामलों में उचित कार्रवाई की जरूरत को उजागर किया है।

समाज और चिकित्सा जगत में गुस्सा

इस घटना ने लोगों को झकझोर दिया है। स्वास्थ्य सेवाओं की जिम्मेदारी संभालने वाले प्रतिष्ठित संस्थानों में इस तरह के आरोप विश्वास और नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। यह मामला केवल यौन उत्पीड़न का नहीं है, बल्कि संस्थागत जवाबदेही और नैतिकता का भी सवाल है।

एम्स जैसे संस्थानों में ऐसे मामलों पर त्वरित कार्रवाई और पीड़ितों को न्याय दिलाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके और समाज में विश्वास बहाल हो सके।