डोनाल्ड ट्रंप के साथ भारत का नया अध्याय: जयशंकर की तस्वीरों से साफ हुआ उभरता कद
वॉशिंगटन: वॉशिंगटन डीसी में आयोजित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के शपथ ग्रहण समारोह ने न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया। इस ऐतिहासिक समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे विदेश मंत्री एस. जयशंकर की उपस्थिति खास चर्चा का विषय रही।
एस. जयशंकर की प्रमुख भूमिका और सम्मानजनक स्थान
एस. जयशंकर को समारोह में पहली पंक्ति में, इक्वाडोर के राष्ट्रपति के बगल में स्थान दिया गया, जो भारत की बढ़ती वैश्विक शक्ति और प्रतिष्ठा का परिचायक है। अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में यह बात प्रमुखता से उभरकर आई कि कैसे भारत के विदेश मंत्री को अन्य देशों के नेताओं की तुलना में खास सम्मान दिया गया।जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शपथ ग्रहण समारोह की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, “राष्ट्रपति ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के शपथ ग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व करना एक बड़ा सम्मान है।” इस पोस्ट के जरिए उन्होंने अमेरिका और भारत के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की ओर इशारा किया।
क्वाड और अन्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ तुलना
शपथ ग्रहण समारोह में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों को भी आमंत्रित किया गया था। तस्वीरों में देखा गया कि ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग को तीसरी पंक्ति में बिठाया गया, जबकि एस. जयशंकर को राष्ट्राध्यक्षों और प्रमुख नेताओं के साथ अग्रिम पंक्ति में स्थान दिया गया। यह अमेरिका द्वारा भारत के साथ रिश्तों को प्राथमिकता देने का स्पष्ट संकेत है।
अमेरिका-भारत संबंधों की नई दिशा
विश्लेषकों का मानना है कि इस आयोजन में जयशंकर की विशिष्ट उपस्थिति अमेरिका-भारत संबंधों के और भी प्रगाढ़ होने का संकेत है। अमेरिकी प्रशासन की भारत के प्रति गहरी दिलचस्पी शपथ ग्रहण के तुरंत बाद हुई चर्चाओं में भी स्पष्ट हुई। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो और अन्य भारत समर्थक मंत्रियों के ट्रंप कैबिनेट में शामिल होने से इस परिप्रेक्ष्य को और बल मिला है।अमेरिकी मीडिया में चल रही रिपोर्टों के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप जल्द ही भारत दौरे पर आ सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को व्हाइट हाउस में आमंत्रित करने की योजना बनाई है। यह इंगित करता है कि भारत के साथ द्विपक्षीय सहयोग ट्रंप प्रशासन की प्राथमिकताओं में शामिल है।
शपथ ग्रहण के बाद संभावित चर्चाएं और भारत के लिए संदेश
शपथ ग्रहण समारोह के बाद अमेरिकी प्रशासन और भारतीय अधिकारियों के बीच रणनीतिक बातचीत की योजना है, जो व्यापार, रक्षा और प्रौद्योगिकी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करेगी। भारत की पहली पंक्ति में उपस्थिति ने यह दिखा दिया है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी स्थिति कितनी महत्वपूर्ण हो गई है।
भारत और वैश्विक परिदृश्य पर असर
यह सम्मान न केवल भारत-अमेरिका संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, बल्कि अन्य देशों के लिए भी संकेत है कि भारत अब वैश्विक मंच पर एक केंद्रीय भूमिका निभाने की ओर बढ़ रहा है। इससे भारत के विरोधी देशों को जलन होना स्वाभाविक है, क्योंकि यह उनकी रणनीतिक चुनौतियों को और बढ़ा सकता है।
समारोह और भविष्य की संभावनाएं
डोनाल्ड ट्रंप और उनके मंत्रिमंडल के भारत समर्थक रुख ने इस अवसर को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। भारत और अमेरिका के संबंध आने वाले समय में नई ऊंचाइयों को छू सकते हैं।यह शपथ ग्रहण न केवल एक नया अध्याय है, बल्कि भारत के उभरते वैश्विक कद की एक मजबूत पहचान भी है।
