“राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और रविशंकर प्रसाद की मुलाकात, बिहार की राजनीति पर चर्चा”
पटना: बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने रविवार को पटना साहिब के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से उनके निवास पर मुलाकात की। यह मुलाकात लगभग एक घंटे तक चली, जिसमें दोनों नेताओं के बीच गहरी दोस्ती और समान विचारों पर चर्चा हुई। रविशंकर प्रसाद ने इस मुलाकात के बाद राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को ‘विद्वान’ बताते हुए कहा कि राज्यपाल का आभार जताते हुए उन्होंने बताया कि यह मित्रता लंबे समय से जारी रही है और राज्यपाल ने खुद उन्हें मिलने का आग्रह किया था।
राज्यपाल ने अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि यह मुलाकात कोई नई नहीं है, बल्कि कई वर्षों की दोस्ती का परिणाम है। उन्होंने कहा, “मुझे पहले ही पटना आने का मन था, लेकिन यहां आने पर सांसद ने मुझे फोन किया और हमारे बीच बातचीत हुई। फिर मैंने तय किया कि अब आकर उनसे मुलाकात करूं। यह हमारे बीच की सच्ची दोस्ती है जो समय से पहले बन चुकी थी।” इस दौरान आरिफ मोहम्मद खान ने शिक्षाशास्त्र, गीता पर चर्चा की और बताया कि वह केरल से पटना लौटने के बाद सांसद के घर आने की योजना बनाते थे।
सांसद रविशंकर प्रसाद ने इस अवसर पर राज्यपाल के बड़प्पन को सलाम किया, और उनकी प्रतिबद्धता का श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि आरिफ मोहम्मद खान को बिहार के लिए एक ‘योग्य राज्यपाल’ मानते हुए, इस मुलाकात ने उनका और राज्यपाल का रिश्ता और भी मजबूत किया। प्रसाद ने आरिफ मोहम्मद खान के केरल में हो रहे कुम्भ मेले जाने की जानकारी साझा करते हुए उनकी शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की।
इसके अलावा, रविशंकर प्रसाद ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रति आलोचनात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि केजरीवाल एक ‘घटिया राजनीतिज्ञ’ हैं, जिनके नेतृत्व में पूर्वांचल के लोगों को कोरोना काल में त्रासदी का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने पहले पूर्वांचल के लोगों को आनंद विहार भेजा था, जिस पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि इनका तर्क था कि वहां 500 रुपये का टिकट काटकर 5,000 रुपये का इलाज कराना होगा। अब, वह आपत्ति जताते हुए और पूर्वांचल के लोगों से दिल्ली चुनाव में केजरीवाल को हराने की अपील कर रहे हैं।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के साथ इस मुलाकात से बिहार की राजनीति और दोनों नेताओं के बीच सौहार्दपूर्ण रिश्तों की स्पष्ट तस्वीर सामने आई, जिसमें मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनकी पार्टी के खिलाफ भी खुलकर राय रखी गई। इस बात से इस मुलाकात की सार्थकता और भी बढ़ गई कि यह दोनों नेताओं की आपसी समझ और व्यवहार के साथ-साथ राजनीतिक क्षेत्र में सामूहिक बदलाव का परिचायक हो सकती है।