आदिवासी उत्थान से लेकर कृषि क्रांति तक: छत्तीसगढ़ के विकास की धारा में साय सरकार का प्रभाव

रायपुर :  छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सरकार ने विकसित भारत और विकसित छत्तीसगढ़ के संकल्प को साकार करने की दिशा में नई ऊर्जा और व्यापक दृष्टिकोण के साथ कार्य करना शुरू किया है। इस राज्य की लगभग तीन करोड़ की आबादी, जो मुख्यतः आदिवासी समुदाय और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भर करती है, के समग्र विकास को सुनिश्चित करना सरकार का प्राथमिक लक्ष्य है।

मुख्यमंत्री साय ने अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही राज्य के विकास की नींव इन दोनों प्रमुख क्षेत्रों आदिवासी समुदाय और किसानों पर रखी है। प्रदेश सरकार ने कृषि प्रधान क्षेत्र में उल्लेखनीय कदम उठाए हैं, जिसमें कृषक उन्नति योजना की अहम भूमिका रही है। इस योजना के माध्यम से खेती-किसानी में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। बीते खरीफ सीजन में समर्थन मूल्य पर किसानों से 145 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया, और इसके बदले 32,000 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। साथ ही, किसानों के बकाया धान बोनस और मूल्य अंतर राशि के रूप में कुल 49,000 करोड़ रुपए सीधे उनके बैंक खातों में अंतरित किए गए।

इस साल बेहतर मानसून और अनुकूल परिस्थितियों को देखते हुए, सरकार ने 14 नवंबर 2024 से 31 जनवरी 2025 तक 160 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है। किसानों को ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 6,500 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं, और किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से अधिकतम लाभ देने के प्रयास जारी हैं। ई-नाम पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी उपज को सर्वोत्तम मूल्य पर बेच सकते हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार ने कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन किया है, जिससे अन्य राज्यों के व्यापारी और प्रसंस्करणकर्ता सीधे छत्तीसगढ़ के किसानों से उपज खरीद सकें। यह पहल किसानों को राज्य स्तर पर व्यापार की सीमाओं से मुक्त करके उन्हें अधिक आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करती है।

आदिवासी समुदाय का सशक्तिकरण

राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्रों, विशेष रूप से माओवाद प्रभावित इलाकों में विकास कार्यों को प्राथमिकता दी गई है। नियद नेल्लानार योजना के तहत माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा कैंप के आसपास मूलभूत सुविधाओं और शासकीय योजनाओं का विस्तार किया जा रहा है। इन इलाकों के युवाओं को तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षा के लिए ब्याज मुक्त ऋण देकर उनके भविष्य निर्माण में मदद की जा रही है।

वनवासियों की आय बढ़ाने के लिए वनोपज के संग्रहण और प्रसंस्करण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। तेन्दूपत्ता पारिश्रमिक बढ़ाकर 5,500 रुपये प्रति मानक बोरा किया गया है। लघु वनोपजों का समर्थन मूल्य पर संग्रहण और वनधन केंद्रों में प्रसंस्करण किया जा रहा है, जिससे आदिवासियों की आय में वृद्धि हुई है।

महिलाओं का आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने महतारी वंदन योजना लागू की है, जिसके तहत 70 लाख महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। इस योजना की अब तक नौ किस्तें जारी हो चुकी हैं, जिससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव आया है।

शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम

नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने के लिए नए पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं। जनजातीय समुदाय के बच्चों के लिए 75 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय और माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में 15 प्रयास आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। इन स्कूलों में छात्रों को मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।

दिल्ली में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की तैयारी के लिए यूथ हॉस्टल की सीटें 50 से बढ़ाकर 185 की गई हैं, जिससे मेधावी छात्रों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का अवसर मिले।

माओवाद उन्मूलन में निर्णायक कदम

माओवादी आतंक से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने समन्वित रणनीति अपनाई है। माओवाद अब कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है। प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों और सुरक्षा बलों की सक्रियता ने जनता का सरकार पर विश्वास बहाल किया है।

छत्तीसगढ़ का समग्र विकास: भविष्य की ओर कदम

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उठाए गए ये कदम आदिवासी समुदाय और किसानों की समृद्धि सुनिश्चित करने के साथ-साथ राज्य की समग्र प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ आत्मनिर्भर और विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।