वीजा विवाद और गोधरा का दर्द: पीएम मोदी की जुबानी उनके सबसे मुश्किल दिनों का सफर
नई दिल्ली : भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ज़ेरोधा (Zerodha) के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ एक पॉडकास्ट सत्र में अपने जीवन के सबसे चुनौतीपूर्ण और कठिन पलों में से एक के बारे में खुलकर बात की। इस दौरान, उन्होंने अमेरिका द्वारा वीजा देने से इनकार करने की घटना और उस समय की चुनौतियों का जिक्र किया।
निखिल कामथ ने पीएम मोदी से पूछा कि उनके जीवन का सबसे ज्यादा कष्टदायक पल कौन-सा था। इस सवाल का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने बताया कि जब अमेरिका ने उन्हें वीजा देने से इनकार किया था, वह उनके जीवन का बेहद कठिन और झकझोरने वाला समय था। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने उस समय के झूठे आरोपों और मिथ्या प्रचार के आधार पर यह निर्णय लिया था। एक लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार का मुखिया होने के बावजूद, उनके साथ इस तरह का बर्ताव किया गया, जिसे उन्होंने न केवल अपना, बल्कि पूरे भारत का अपमान माना।
पीएम मोदी ने बताया कि उस समय उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की थी कि वह ऐसा भारत बनाएंगे, जहां दूसरे देश भारतीय वीजा के लिए कतार में खड़े होंगे। उन्होंने अपनी बातों में विश्वास बनाए रखा और यह साबित किया कि भारत का समय आने वाला है। आज 2025 में, वह गर्व के साथ कहते हैं कि भारत की छवि और प्रतिष्ठा दुनियाभर में बदल चुकी है। अब विदेशी नागरिक भारत में व्यापार और अन्य अवसरों की तलाश में हैं।
गोधरा कांड और उसके प्रभाव पर पीएम मोदी की प्रतिक्रिया
पॉडकास्ट के दौरान पीएम मोदी ने गोधरा की घटना और उसके बाद की चुनौतियों पर भी अपनी बातें साझा कीं। उन्होंने बताया कि 27 फरवरी 2002 को जब गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाई गई और उसमें 59 कारसेवकों की मृत्यु हुई, वह उनकी राजनीतिक यात्रा का बेहद दुखद दौर था। यह घटना तब घटी जब वह केवल तीन दिन पहले विधायक बने थे। उन्होंने कहा कि वह गुजरात विधानसभा में थे, जब उन्हें आगजनी की खबर मिली। उन्होंने तुरंत गोधरा जाने का फैसला किया, लेकिन हेलीकॉप्टर उपलब्ध न होने के कारण उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए हर संभव कोशिश की कि वह जल्द से जल्द घटनास्थल पर पहुंच सकें।
पीएम मोदी ने गोधरा का दर्दनाक दृश्य याद करते हुए कहा कि लाशें चारों ओर बिखरी थीं। उस समय उन्होंने अपने भावनाओं पर काबू रखते हुए स्थिति संभालने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि वह उस पद पर थे जहां भावनाओं के बजाय उन्हें अपने कर्तव्य को प्राथमिकता देनी थी।
अमेरिकी वीजा विवाद और भविष्य के संकल्प
पीएम मोदी ने बताया कि 2005 में अमेरिका ने सांप्रदायिक दंगों के आरोपों के चलते उन्हें वीजा देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने इसे भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ अपमानजनक बताया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की जांच में उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था। बाद में, 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद, अमेरिका ने उनका वीजा फिर से बहाल कर दिया।
इस घटना ने न केवल पीएम मोदी की इच्छाशक्ति को मजबूत किया, बल्कि उनके भारत के भविष्य के प्रति संकल्प को और गहरा किया। उन्होंने कहा कि वह हमेशा भविष्य की सोचते हुए काम करते हैं। उनके संकल्प और नेतृत्व का ही परिणाम है कि आज भारत की वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान बनी है।
आत्मसमीक्षा और उनके जीवन के तीन मंत्र
पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने अपने जीवन के तीन मूल मंत्र साझा किए:
- किसी भी प्रयास में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए।
- स्वार्थ से प्रेरित होकर किसी भी कार्य का हिस्सा नहीं बनना चाहिए।
- गलतियां स्वाभाविक हैं, लेकिन गलत इरादों से की गई गलती अस्वीकार्य है।
उन्होंने कहा कि इंसान से गलतियां हो सकती हैं, क्योंकि वह भी इंसान हैं, भगवान नहीं। लेकिन उनका मानना है कि जानबूझकर की गई गलती नहीं होनी चाहिए।
इस सत्र में पीएम मोदी ने अपनी जीवन यात्रा, कठिनाइयों और उन मूल्यों को लेकर जो बातें कहीं, वे एक प्रेरणा स्रोत हैं, जो दिखाती हैं कि कैसे संकल्प और दूरदृष्टि के साथ कोई भी बाधा पार की जा सकती है।