मोजाम्बिक के विपक्षी नेता मोंडलेन की देश वापसी, समर्थकों पर आंसू गैस के गोले छोड़कर बढ़ा तनाव
मापुटो : मोजाम्बिक में अक्तूबर में हुए चुनावों के बाद से हिंसक विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। चुनावों में फ्रेलिमो पार्टी की जीत के बाद विपक्षी नेताओं ने चुनाव परिणामों को मान्यता नहीं दी और इसको लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। मुख्य विपक्षी नेता वेनांसियो मोंडलेन ने आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान अनियमितताएं हुईं और मतदान प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई, जिसके बाद उन्होंने अपनी जान के खतरे के चलते देश छोड़ने का फैसला किया था। मोंडलेन के अनुसार, चुनाव के बाद अज्ञात बंदूकधारियों ने उनके पार्टी के दो वरिष्ठ सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया, जिससे उन्हें डर लगा और उन्होंने निर्वासन का रास्ता अपनाया।
हालांकि, हाल ही में मोंडलेन ने घोषणा की कि वह अब देश लौट रहे हैं और 5 जनवरी को मापुटो के मावलाने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनका स्वागत करने के लिए उनके समर्थक पहुंच गए थे। हवाई अड्डे पर स्थिति उस समय तनावपूर्ण हो गई जब मोजाम्बिक की सुरक्षा बलों ने विरोध कर रहे समर्थकों पर आंसू गैस के गोले छोड़े। इस घटना ने प्रदर्शन और अधिक उग्र बना दिए, जिसके कारण कुछ झड़पें भी हुईं। इन विरोध प्रदर्शनों में अब तक 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
मोजाम्बिक में 1975 में पुर्तगाल से स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से फ्रेलिमो पार्टी की सत्ता पर पकड़ बनी हुई है। 1994 में पहले मल्टीपार्टी चुनावों के बाद से भी इस पार्टी पर चुनावों में धांधली करने का आरोप लगता रहा है, और यही कारण है कि वर्तमान विरोध प्रदर्शनों का मुद्दा चुनावी अनियमितताओं को लेकर प्रमुख है। मोंडलेन और उनके समर्थक लगातार फ्रेलिमो पार्टी पर जश्न में खोने की बजाय आम जनता के अधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगा रहे हैं।
इन विरोधों ने मोजाम्बिक की राजनीतिक स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने भी मतदान प्रक्रिया में गड़बड़ी के संकेत दिए थे, और मोजाम्बिक की सांविधानिक परिषद ने चुनावों के परिणाम को बरकरार रखते हुए, डैनियल चैपो को राष्ट्रपति नियुक्त किया है। वे फिलिप न्यूसी की जगह अगले हफ्ते शपथ लेंगे, जिन्होंने अपनी दो कार्यकाल अवधि पूरी की। इन घटनाओं के बीच, मोजाम्बिक में सत्ता परिवर्तन और राजनीतिक अस्थिरता के संकेत मिलने लगे हैं, जिससे देश के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
