अरविंद केजरीवाल का जाट आरक्षण पर बड़ा बयान: प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह से वादे को निभाने की अपील
Delhi Assembly Election 2025: आम आदमी पार्टी (AAP) के अध्यक्ष और दिल्ली के ने हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव से संबंधित एक महत्वपूर्ण बयान में जाट समाज के लिए आरक्षण का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लपूर्व मुख्यमंत्री अरविंद कजरीवाल गाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने 4 बार दिल्ली के जाटों को ओबीसी (पिछड़े वर्ग) लिस्ट में शामिल करने का वादा किया था, लेकिन अब तक इसे पूरा नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त, केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने दिल्ली के जाटों और अन्य पांच जातियों को ओबीसी लिस्ट में शामिल करने की मांग की है।
केजरीवाल ने अपने पत्र में उल्लेख किया, “केंद्र सरकार ने पिछले 10 सालों से जाट समाज को ओबीसी आरक्षण के नाम पर धोखा दिया। 2015 में जाट समाज के नेताओं से वादा किया गया था कि उन्हें ओबीसी लिस्ट में शामिल किया जाएगा, लेकिन यह वादा अब तक अधूरा है। 2019 में अमित शाह ने भी जाटों को केंद्रीय ओबीसी लिस्ट में शामिल करने की बात की थी, फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।” इसके अलावा, केजरीवाल ने उदाहरण देते हुए कहा कि राजस्थान में जाट समुदाय को डीयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में आरक्षण मिलता है, जबकि दिल्ली में ऐसा क्यों नहीं होता, यह सवाल खड़ा किया।
केजरीवाल ने यह भी कहा कि केंद्र की ओबीसी लिस्ट में जाटों का नाम न होने के कारण दिल्ली के जाट समाज के हजारों बच्चों को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) जैसे संस्थानों में दाखिला नहीं मिलता। इसके साथ ही, जाट समुदाय को दिल्ली में सरकारी नौकरियों में भी अवसर नहीं मिलते। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री चुनाव से पहले वादे तो करते हैं, लेकिन बाद में भूल जाते हैं और कोई कार्रवाई नहीं होती है।
आगे उन्होंने यह भी कहा कि यह जाट समाज के साथ बड़ा अन्याय है, और उनकी पार्टी हमेशा से उनके हक के लिए आवाज उठाती रहेगी। केजरीवाल का कहना था कि यह मुद्दा केवल आरक्षण का नहीं, बल्कि जाट समाज के साथ किए गए वादे की कद्र करने का है। उन्होंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से जाट समुदाय से किए गए वादों को निभाने की अपील की और कहा कि यदि उनका यह मुद्दा हल नहीं किया गया, तो यह पार्टी चुनावों के दौरान भी प्रमुखता से उठाएगी।
उनके इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि केजरीवाल दिल्ली के जाट समाज के साथ होने वाले भेदभाव को लेकर गंभीर हैं और वे इसे चुनावी मुद्दा बना सकते हैं, जिससे उनके समर्थन का बेस भी और मजबूत हो सकता है।
