पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अस्थि विसर्जन की रस्में यमुना घाट पर हुई संपन्न
नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अस्थि विसर्जन की रस्में गुरुद्वारा मजनूं का टीला के पास यमुना घाट पर निभाई गईं, जहां पर उनके परिवार और समर्थकों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 92 वर्ष की आयु में हुआ था, और उनका अंतिम संस्कार शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ निगम बोध घाट पर किया गया। उनका निधन भारतीय राजनीति और आर्थिक जगत के लिए एक बड़ी क्षति मानी जा रही है, क्योंकि उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी थी और वे देश के पहले सिख प्रधानमंत्री थे।
हालांकि, उनके अंतिम संस्कार को लेकर राजनीतिक विवाद उठ खड़ा हुआ है। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करवा कर केंद्र सरकार ने उनके सम्मान का अपमान किया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यह दावा किया कि इस कदम ने ‘भारत माता के महान सपूत’ और ‘सिख समुदाय के पहले प्रधानमंत्री’ की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर यह टिप्पणी की कि सरकार को पूर्व प्रधानमंत्री के प्रति अधिक सम्मान दिखाना चाहिए था, क्योंकि उनकी नीतियों ने भारतीय राजनीति और समाज में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया था। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत को वैश्विक आर्थिक मंच पर महाशक्ति बनाने में अहम भूमिका निभाई और उनकी नीतियों ने देश के गरीब और पिछड़े वर्गों को मदद दी।
भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस आरोप पर पलटवार किया और कांग्रेस को चेतावनी दी कि वह इस अवसर पर राजनीति न करे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मृतक के सम्मान से खिलवाड़ किया और इसका विरोध किया। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह मनमोहन सिंह के निधन के मामले में अनावश्यक रूप से राजनीतिक खेल खेल रहे हैं। इस प्रकार, डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर पक्ष-विपक्ष में तीखी बयानबाजी और विवाद पैदा हो गया है।
यह विवाद विशेष रूप से तब उभर कर आया है जब इस घटनाक्रम को ऐतिहासिक संदर्भ में देखा जाए, क्योंकि इससे पहले सभी प्रधानमंत्रियों की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार प्रतिष्ठित समाधि स्थलों पर किए गए थे, ताकि आम लोग आसानी से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें। इस घटना को लेकर अब बहस और भी तेज हो गई है, और यह राजनीति और समाज में डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान और उनकी गरिमा को लेकर और भी सवाल खड़े कर रही है।