आतंकी सरगना अब्दुल रहमान मक्की की मृत्यु: पाकिस्तान में आतंकवाद का समर्थन जारी

नई दिल्ली :  मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड और आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा के वरिष्ठ सदस्य हाफिज अब्दुल रहमान मक्की की हाल ही में मृत्यु हो गई। मक्की, जो हाफिज सईद का करीबी सहयोगी और बहनोई था, शुक्रवार को अचानक दिल का दौरा पड़ने के कारण लाहौर के एक निजी अस्पताल में दम तोड़ दिया। जमात-उद-दावा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि मक्की पिछले कुछ दिनों से शारीरिक परेशानियों का सामना कर रहा था, जिसमें बढ़ा हुआ शुगर और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं शामिल थीं। मक्की को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन गंभीर हालत में उसे बचाया नहीं जा सका।

मक्की की मृत्यु पाकिस्तान और वैश्विक आतंकवाद विरोधी प्रयासों के संदर्भ में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। वह हमेशा से अपनी गुप्त कार्यवाहियों में सक्रिय था और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के वित्तीय सहायता नेटवर्क को संचालित करने के लिए जाना जाता था। इसके अलावा, भारत ने बार-बार पाकिस्तान से उसकी गिरफ्तारी की मांग की थी, लेकिन पाकिस्तान की सरकार मक्की के खिलाफ ठोस कदम उठाने में नाकाम रही थी, और उसे कई बार संरक्षण मिला।

मक्की पर आरोप था कि उसने कई आतंकवादी हमलों की साजिश रची, जिसमें 2000 में लाल किले पर हमला, रामपुर में आतंकी हमला और 2018 में श्रीनगर और बारामूला में किए गए हमले शामिल थे। इन हमलों के परिणामस्वरूप कई निर्दोष लोगों की जान गई, जिनमें भारत के कई नागरिकों और पत्रकारों का जीवन भी समाहित था। मक्की का नाम लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ था, और इसके संस्थापक हाफिज सईद की साझेदारी में उसने आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दिया था।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2023 में अब्दुल रहमान मक्की को एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर दिया था और उसकी संपत्तियां जब्त करने के साथ ही उस पर यात्रा प्रतिबंध भी लगाया था। हालांकि, पाकिस्तान में अपनी सक्रियता के दौरान वह किसी न किसी रूप में खुलेआम दिखाई देता था, और पाकिस्तान सरकार ने उसे पर्याप्त रोकने के लिए कदम नहीं उठाए।

मक्की की मृत्यु के बावजूद, उसकी आतंकी गतिविधियाँ और पाकिस्तान में आतंकवाद की पृष्ठभूमि खत्म नहीं होती है। पाकिस्तान का आतंकवाद के खिलाफ दोगला रवैया अब भी वैश्विक सुरक्षा के लिए चिंता का कारण बना हुआ है, और मक्की का निधन इस दुखद सत्य का एक और संकेत है कि आतंकवाद को पूरी तरह से समाप्त करना एक चुनौती बना हुआ है।