“राहुल गांधी का आरोप: ‘संविधान की रक्षा करते हुए हुई सोमनाथ की हत्या'”
मुंबई : महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थित परभणी शहर में हालिया हिंसा और उसके बाद उपजे राजनीतिक विवाद ने राज्य और देशभर में एक नई बहस को जन्म दिया है। इस घटना के केंद्र में एक युवा दलित कार्यकर्ता सोमनाथ सूर्यवंशी की मौत है, जो 10 दिसंबर को हुई हिंसा के बाद हिरासत में लिए गए लोगों में शामिल थे। इस हिंसा की शुरुआत तब हुई, जब परभणी रेलवे स्टेशन के पास डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के समीप संविधान की कांच से बनी प्रतिकृति को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
घटनाक्रम का ब्योरा:
परभणी में संविधान की प्रतिकृति को क्षतिग्रस्त करने की घटना के बाद हालात तेजी से बेकाबू हो गए। विरोध प्रदर्शन ने हिंसा का रूप ले लिया, जिसमें कई लोग घायल हुए और पुलिस को स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कार्रवाई करनी पड़ी। पुलिस ने हिंसा से जुड़े मामलों में 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें सोमनाथ सूर्यवंशी भी शामिल थे।
हिरासत में मौत और इसके प्रभाव:
सोमनाथ सूर्यवंशी को न्यायिक हिरासत में रखे जाने के दौरान 15 दिसंबर को सीने में दर्द और बेचैनी की शिकायत हुई। उन्हें सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई। इस घटना ने परभणी और राज्य की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया। दलित समुदाय और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे हिरासत में मौत का मामला बताते हुए निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
राहुल गांधी का दौरा और बयानों की गूंज:
इस विवाद के बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोमवार को परभणी का दौरा किया। उन्होंने सोमनाथ सूर्यवंशी के परिवार से मुलाकात की और कहा कि यह हत्या सरकार प्रायोजित है। राहुल गांधी ने कहा कि सूर्यवंशी संविधान की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे थे और उन्हें उनकी जाति के कारण निशाना बनाया गया। राहुल ने आरोप लगाया कि आरएसएस और भाजपा की विचारधारा संविधान को कमजोर करने की है और राज्य की सरकार इस विचारधारा को लागू कर रही है।
इसके साथ ही राहुल गांधी ने विजय वाकोडे के परिवार से भी मिलने की घोषणा की, जिनकी मृत्यु विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई थी। उन्होंने इस घटना को दलितों पर हो रहे अन्याय और हिंसा का उदाहरण बताया। राहुल ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री और पुलिस प्रशासन ने विधानसभा में सच को छिपाने के लिए झूठे दावे किए।
महाराष्ट्र सरकार की प्रतिक्रिया:
राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए उनके दौरे को “राजनीतिक नाटक” करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में पूरी तरह संवेदनशील है और हिंसा की न्यायिक जांच का आदेश दिया गया है। फडणवीस ने यह भी कहा कि यदि जांच में यह पाया गया कि हिरासत में किसी प्रकार की क्रूरता हुई है, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने भी राहुल गांधी की यात्रा पर कटाक्ष करते हुए इसे “जातिगत नफरत फैलाने” का प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस केवल राजनीतिक लाभ उठाने के लिए ऐसे मामलों को बढ़ावा देती है।
निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग:
हालांकि सरकार ने जांच की घोषणा की है, लेकिन दलित संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे निष्पक्ष और त्वरित करने की मांग की है। वे इस घटना को समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और पुलिस तंत्र में सुधार की आवश्यकता का प्रतीक मानते हैं।
परभणी की इस घटना ने न केवल राजनीतिक गलियारों में बहस छेड़ दी है, बल्कि समाज में गहराई तक फैले जातिगत भेदभाव और न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता की मांग को भी उजागर किया है। सोमनाथ सूर्यवंशी की मौत के बाद उठे सवालों का जवाब सिर्फ निष्पक्ष जांच और दोषियों को सजा देकर ही दिया जा सकता है। इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह दिखाया है कि संविधान की रक्षा करने की जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की है।