पेगासस विवाद: अमेरिकी अदालत के फैसले के बाद सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट से जांच की मांग उठाई
नई दिल्ली: दुनियाभर में मशहूर पेगासस जासूसी कांड ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं। अमेरिकी कैलिफोर्निया की एक जिला अदालत ने इस्राइल की साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ समूह को 2019 के व्हाट्सएप हैकिंग कांड में दोषी ठहराया है। अदालत ने पाया कि एनएसओ ने अवैध रूप से पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करते हुए व्हाट्सएप सर्वर के जरिए 1400 से अधिक लोगों के फोन हैक किए। इनमें 300 भारतीय फोन नंबर भी निशाना बने। इस फैसले ने भारत में इस मुद्दे पर चल रही पुरानी बहस को फिर से गरम कर दिया है, जिसमें सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े हुए थे।
रणदीप सुरजेवाला के आरोप और सरकार पर सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने अमेरिकी अदालत के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कई पोस्ट करते हुए यह जानना चाहा:
- “वे 300 भारतीय फोन नंबर कौन-कौन से थे, जिन्हें पेगासस द्वारा निशाना बनाया गया?”
- “वे दो केंद्रीय मंत्री कौन थे, जिनके फोन टैप किए गए?”
- “तीन विपक्षी नेता, संवैधानिक अधिकारी, और वे पत्रकार कौन थे जिनकी निजता भंग की गई?”
- “इस डेटा का उपयोग किसने किया और इसका क्या उद्देश्य था?”
सुरजेवाला ने यह भी मांग की कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करे और तकनीकी विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करे, जो पेगासस के उपयोग की जांच करने के लिए पहले बनाई गई थी।
पेगासस कांड का मूल मामला
पेगासस एक स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है जिसे इस्राइल की एनएसओ समूह ने विकसित किया है। यह स्पाइवेयर किसी व्यक्ति के स्मार्टफोन को हैक करने, उसमें मौजूद सभी निजी जानकारी निकालने, और यहां तक कि कैमरा और माइक्रोफोन को चालू करने की क्षमता रखता है। 2019 में व्हाट्सएप ने खुलासा किया था कि पेगासस के माध्यम से उसके सर्वर का इस्तेमाल करके दुनियाभर में 1400 से अधिक लोगों के फोन हैक किए गए।
इस खुलासे के बाद भारत में भी बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। 300 भारतीयों के फोन नंबर को इस स्पाइवेयर का निशाना बनाया गया था। इनमें राजनेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, और उद्योगपति शामिल होने की बात कही गई थी।
अमेरिकी अदालत का फैसला और एनएसओ की जिम्मेदारी
कैलिफोर्निया की जिला अदालत ने एनएसओ को संघीय हैकिंग कानून और व्हाट्सएप की सेवा शर्तों के उल्लंघन का दोषी ठहराया। अदालत के मुताबिक, एनएसओ ने व्हाट्सएप सर्वर पर मैलवेयर भेजकर यह अवैध गतिविधियां कीं। व्हाट्सएप ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कर आरोप लगाया कि एनएसओ ने उसकी सेवा शर्तों का उल्लंघन करते हुए 1400 उपयोगकर्ताओं की निजता पर हमला किया।
भारत में राजनीतिक उबाल
अमेरिकी अदालत का यह फैसला भारत में विपक्षी दलों के लिए सरकार को घेरने का नया अवसर बन गया है। सुरजेवाला सहित कई विपक्षी नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकतंत्र के नाम पर आम नागरिकों की निजता का उल्लंघन किया है।
सुरजेवाला की सुप्रीम कोर्ट से अपील
रणदीप सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की गहन जांच की मांग की है। उन्होंने तकनीकी विशेषज्ञ समिति द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की अपील की। उनकी दलील है कि अगर सरकार ने वास्तव में कोई गलत काम नहीं किया, तो उसे इन रिपोर्ट्स को जनता के सामने पेश करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार ने इस पूरे मामले पर हमेशा चुप्पी बनाए रखी है। सरकार का दावा है कि वह “राष्ट्रीय सुरक्षा” के तहत कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकती। हालांकि, इसके चलते विपक्षी दल और ज्यादा आक्रामक हो गए हैं और उन्होंने सरकार पर अपनी आलोचना तेज कर दी है।
पेगासस और लोकतांत्रिक मूल्यों पर खतरा
यह मामला सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक चेतावनी है। जासूसी और निगरानी के ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल व्यक्तिगत निजता और लोकतांत्रिक संस्थाओं को खतरे में डाल सकता है। पेगासस का उपयोग एक ऐसी प्रवृत्ति को दर्शाता है जो सत्ता में बैठे लोगों को असीमित अधिकार और नागरिकों को अत्यधिक जोखिम में डाल सकती है।
आगे की राह
- जांच: अमेरिकी अदालत के फैसले के बाद भारत में इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट पर दबाव बढ़ सकता है।
- रिपोर्ट का खुलासा: तकनीकी विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग तेज हो रही है।
- कानूनी कार्रवाई: क्या भारत एनएसओ समूह या जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा, यह बड़ा सवाल है।
- राजनीतिक प्रभाव: पेगासस कांड आने वाले चुनावों में एक प्रमुख मुद्दा बन सकता है।
पेगासस जासूसी कांड सिर्फ एक तकनीकी मुद्दा नहीं है; यह मानव अधिकारों, लोकतंत्र, और निजता की रक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी है। इस मुद्दे पर देश और दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं।