सुप्रीम कोर्ट ने सौम्या चौरसिया की अंतरिम जमानत बढ़ाई, कोयला वसूली घोटाले में संलिप्तता के आरोप
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की करीबी सहयोगी और राज्य सरकार की उप सचिव सौम्या चौरसिया की अंतरिम जमानत बढ़ा दी। सौम्या चौरसिया पर आरोप है कि वे कथित कोयला वसूली घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शामिल हैं। यह घोटाला 540 करोड़ रुपये की अवैध वसूली का है, जिसमें कोयले के परिवहन पर 25 रुपये प्रति टन की गैरकानूनी राशि की वसूली की जाती थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 25 सितंबर 2023 को इस मामले में सौम्या चौरसिया को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था, यह कहते हुए कि वे एक साल और नौ महीने से अधिक समय तक हिरासत में रही हैं और अब तक आरोप तय नहीं किए गए हैं। अब, कोर्ट ने पुनः सौम्या चौरसिया की जमानत अवधि बढ़ा दी है। इस फैसले के दौरान, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने मामले की वर्तमान स्थिति की जानकारी ली और इसके बाद जमानत अवधि बढ़ाने का आदेश दिया।
सौम्या चौरसिया, जो पहले छत्तीसगढ़ सरकार के सचिवालय में एक महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत थीं, बघेल सरकार में उप सचिव और विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) के रूप में काफी प्रभावशाली अधिकारी मानी जाती थीं। उनका राजनीतिक और प्रशासनिक दबदबा राज्य सरकार के अंदर बहुत मजबूत था।
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच में यह खुलासा हुआ कि चौरसिया समेत अन्य वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों के एक कार्टेल ने मिलकर छत्तीसगढ़ में कोयले के परिवहन पर अवैध वसूली की योजना बनाई थी। इस घोटाले में करीब 540 करोड़ रुपये की जबरन वसूली की गई थी, जिसे बाद में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज करके आयकर विभाग ने जांच शुरू की।
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी के अंत में इस मामले पर अगली सुनवाई की तारीख तय की है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मामले में अभी तक मुकदमा शुरू नहीं किया गया है, जिसके कारण जमानत पर विचार किया गया। यह मामला न केवल प्रशासनिक और कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राज्य में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ चल रही कार्रवाई की गंभीरता को भी दर्शाता है।