“इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सीएम योगी की उपस्थिति, कुमार विश्वास को मानद उपाधि से सम्मानित किया”
प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय का 136वां दीक्षांत समारोह बुधवार को एक भव्य आयोजन के रूप में संपन्न हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिरकत की। इस अवसर पर, सीएम योगी ने विश्वविद्यालय की ओर से देश के प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास को मानद उपाधि प्रदान की, जो विश्वविद्यालय की एक अहम उपलब्धि थी। इसके अलावा, उन्होंने विभिन्न पाठ्यक्रमों के सफल छात्र-छात्राओं को भी उपाधियां प्रदान की और उन्हें भविष्य में सफलता की शुभकामनाएं दी।
मुख्यमंत्री योगी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि “दीक्षांत” केवल एक शैक्षिक यात्रा का अंत नहीं है, बल्कि यह एक नए जीवन की शुरुआत है। उन्होंने विश्वविद्यालय से निकले छात्रों की उल्लेखनीय उपलब्धियों का भी जिक्र किया और कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय से निकले छात्र सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला न्यायालय तक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनका मानना था कि विश्वविद्यालय को अपने छात्रों को समय की गति से आगे बढ़ने के लिए तैयार करना चाहिए, ताकि वे समय की चुनौतियों का सामना कर सकें और देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकें।
सीएम योगी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा की सराहना करते हुए कहा, “यहां जो भी आता है, वह अपने अनुभव और सीख से न केवल अपने जीवन में बल्कि समाज में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाता है।” उन्होंने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय का योगदान किसी भी क्षेत्र में हो, वह देश के विकास में नकारात्मक रूप से प्रभावी रहा है।
कार्यक्रम के दौरान, मुख्यमंत्री योगी ने विपक्ष पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि संविधान की मूल प्रति में “पंथनिरपेक्ष” और “समाजवाद” जैसे शब्द नहीं थे, और यह दो शब्द तब जोड़े गए थे जब संसद भंग थी और न्यायपालिका के अधिकारों को कुंद कर दिया गया था। इस बयान से उनका इशारा उन राजनीतिक ताकतों की ओर था, जो लोकतंत्र को खतरे में बताते हुए उस खतरे का हिस्सा बने हुए हैं। योगी ने आरोप लगाया कि आपातकाल के दौरान संविधान का गला घोंटने का काम हुआ था और अब वही लोग लोकतंत्र को खतरे में बताने का ढिंढोरा पीट रहे हैं, जिन्होंने देश में इमरजेंसी लगाई थी।
इस दीक्षांत समारोह ने न केवल इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शैक्षिक गौरव को एक नया आयाम दिया, बल्कि इसके माध्यम से राज्य सरकार की शिक्षा नीति और छात्रों के प्रति उत्तरदायित्व की प्रतिबद्धता भी स्पष्ट हुई।