“सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: रामावतार जग्गी हत्याकांड में याहया ढेबर की जमानत अर्जी खारिज”
रायपुर : सुप्रीम कोर्ट से छत्तीसगढ़ के चर्चित रामावतार जग्गी हत्याकांड के बारे में एक अहम खबर सामने आई है। इस हत्याकांड के मुख्य आरोपित याहया ढेबर की नियमित जमानत अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है, जिससे ढेबर को एक और झटका लगा है। वहीं, इस मामले में अन्य दो आरोपितों, फिरोज सिद्दीकी और अभय गोयल को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी मंजूर कर ली है। जबकि बाकी आरोपियों की जमानत अर्जी पर सुनवाई आगामी 9 जनवरी को की जाएगी। यह मामला राज्य की राजनीति में बड़ा भूचाल मचाने वाला था, और अब इस हत्याकांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक नया मोड़ आ गया है।
रामावतार जग्गी हत्याकांड की कहानी 4 जून 2003 की है, जब छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक जघन्य हत्या हुई थी। जग्गी, जो एक प्रसिद्ध कारोबारी और राजनीतिक व्यक्तित्व थे, को गोलियों से भून दिया गया था। उनकी हत्या के बाद पुलिस ने 31 आरोपियों को इस मामले में नामजद किया था, जिनमें छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी का भी नाम था। हालांकि, अमित जोगी को अदालत से कोई सजा नहीं मिली। जबकि बाकी सभी 28 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी, जिनमें कई राजनैतिक और कारोबारी नाम शामिल थे।
रामावतार जग्गी की हत्या छत्तीसगढ़ की राजनीति में गहरे अंतर्विरोधों और साजिशों को उजागर करती है। जग्गी, जिनका बैकग्राउंड कारोबारी था, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के करीबी मित्र थे। जब शुक्ल ने कांग्रेस छोड़कर NCP का दामन थामा था, तो जग्गी भी उनके साथ पार्टी में शामिल हो गए थे। विद्याचरण शुक्ल ने जग्गी को छत्तीसगढ़ में NCP का कोषाध्यक्ष नियुक्त किया था, जिससे जग्गी का राजनीतिक प्रभाव और भी मजबूत हो गया था।
हत्याकांड में आरोपितों में प्रमुख नामों में अभय गोयल, याहया ढेबर, वीके पांडे, फिरोज सिद्दीकी, राकेश चंद्र त्रिवेदी, अवनीश सिंह, लल्लन, सूर्यकांत तिवारी, अमरीक सिंह गिल, चिमन सिंह, सुनील गुप्ता, राजू भदौरिया, अनिल पचौरी, रविंद्र सिंह, रवि सिंह, लल्ला भदौरिया, धर्मेंद्र, सत्येंद्र सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, विनोद सिंह राठौर, संजय सिंह कुशवाहा, राकेश कुमार शर्मा और मृतक विक्रम शर्मा जैसे लोग शामिल हैं। इन सभी को न्यायालय ने दोषी करार दिया और आजीवन कारावास की सजा दी। हालांकि, कुछ आरोपियों ने सरकारी गवाह बनने का रास्ता अपनाया था, जिसमें बुल्ठू पाठक और सुरेंद्र सिंह का नाम प्रमुख है।
इस मामले के राजनीतिक पहलू को लेकर भी कई सवाल उठते रहे हैं, क्योंकि यह हत्या छत्तीसगढ़ की राजनीति और उसके प्रभावशाली लोगों से जुड़ी हुई थी। साथ ही, इसे राज्य में सत्ता संघर्ष और भ्रष्टाचार से जुड़े एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा भी माना गया। अब इस हत्याकांड के आरोपियों की जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने पूरे मामले में एक नया मोड़ दे दिया है, और आने वाले दिनों में इसे लेकर और भी नए खुलासे हो सकते हैं।
