“महाराष्ट्र में सीएम पद की जंग: फडणवीस या शिंदे, किसे मिलेगा सत्ता का ताज?”


Maharashtra:  महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के परिणामों के साथ ही मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चा तेज हो गई है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मतगणना के रूझानों ने सभी दलों के नेताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है, खासतौर पर महाविकास अघाड़ी (एमवीए) और एनडीए गठबंधन के बीच सीएम पद को लेकर उभरी कशमकश। जहां एनडीए गठबंधन (महायुति) 288 सीटों में से 220 सीटों पर आगे चल रहा है, वहीं महाविकास अघाड़ी (एमवीए) का आंकड़ा 50 से 60 सीटों के बीच झूलता हुआ दिखाई दे रहा है। भाजपा की सीटों की संख्या 126 के पार जा चुकी है, जबकि शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे का पक्ष मजबूती से बना हुआ है।

भाजपा के भीतर यह बहस छिड़ गई है कि मुख्यमंत्री का पद किसे मिलेगा। भाजपा नेता प्रवीण दारेकर ने बयान दिया है कि “जिस पार्टी के पास अधिक विधायक होंगे, वही मुख्यमंत्री बनाए जाने का हकदार होगा,” और इस बयान के बाद भाजपा खेमे में चर्चा तेज हो गई है कि क्या मुख्यमंत्री का पद भाजपा को मिलेगा। वहीं, शिवसेना के नेताओं को पूरा यकीन है कि एकनाथ शिंदे ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे, खासकर इस वजह से कि उन्होंने भाजपा के लिए मजबूत राजनीतिक प्लेटफॉर्म तैयार किया है और उनके समर्थन से ही शिवसेना का विभाजन संभव हुआ।

शिवसेना के 56 सीटों पर आगे रहने की खबरों के बीच, भाजपा और शिवसेना दोनों के नेता अपनी जीत का जश्न मनाते हुए नजर आए। इस बीच, भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति को लेकर सार्वजनिक रूप से अपनी राय दी, जिसमें यह भी कहा गया कि शिंदे ने भाजपा के साथ गठबंधन बनाए रखते हुए एक स्थिर सरकार का निर्माण किया। शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के लिए उनके नेतृत्व को लेकर भाजपा का विश्वास बना हुआ है, खासकर उनके और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व मोदी और अमित शाह के बीच मजबूत रिश्तों के कारण। शिंदे के साथ भाजपा का गठबंधन राज्य में स्थिरता का प्रतीक बन चुका है, और भाजपा ने शिंदे को मुख्यमंत्री पद से नवाजा था, जबकि देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम नियुक्त किया था।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा इस समय सीएम पद के बारे में अंतिम फैसला सहयोगी दलों से विचार-विमर्श के बाद ही लेगी। शिंदे के साथ भाजपा का यह रिश्ता इतना मजबूत है कि चुनाव के बाद एक बार फिर भाजपा नेतृत्व उन्हें मुख्यमंत्री बना सकती है, क्योंकि उन्होंने उस समय भाजपा का साथ दिया था जब शिवसेना का ग्राफ गिरने के कगार पर था। इसके अतिरिक्त, शिंदे ने अपनी नीतियों के जरिए भाजपा के लिए काफी योगदान किया है, और भाजपा की योजनाओं को मैदान में उतारने में उनका महत्वपूर्ण रोल रहा है।

भाजपा ने शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के साथ ही यह संदेश भी दिया कि भविष्य में भाजपा अपना रणनीतिक निर्णय सहयोगी दलों के साथ मिलकर ही लेगी। शिंदे ने चुनाव परिणामों के बाद कहा कि सरकार के गठन का निर्णय पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ मिलकर लिया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल होंगे। इस दौरान उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ और नहीं कहा कि कौन सी पार्टी मुख्यमंत्री बनेगा, लेकिन यह संकेत दिया कि सभी दलों के बीच बातचीत से ही अंतिम निर्णय होगा।

इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम को देखकर यह स्पष्ट है कि भाजपा और शिवसेना के बीच राजनीतिक समीकरण में संतुलन बनाए रखने की कोशिश जारी है। महाराष्ट्र का सीएम पद किसके सिर सजेगा, यह सवाल अब भी अनुत्तरित है, लेकिन यह तय है कि महाराष्ट्र में राजनीति के इस नये मोड़ ने राज्य के राजनीतिक माहौल को और अधिक रोमांचक बना दिया है।