“बस्तर क्षेत्र में समृद्धि की नई राह: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की महत्वपूर्ण बैठक”
रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में भाग लिया। यह महत्वपूर्ण बैठक चित्रकोट में आयोजित की गई, जहां मुख्यमंत्री का स्वागत बस्तर के पारंपरिक अंदाज में किया गया। जनजातीय लोक नर्तक दलों ने आकर्षक प्रस्तुतियां दी और जनप्रतिनिधियों ने पारंपरिक गौर सिंग मुकुट पहनाकर उनका अभिनंदन किया। यह आयोजन बस्तर क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और जनजातीय जीवनशैली को प्रदर्शित करने के साथ-साथ क्षेत्र के विकास पर चर्चा करने का एक बेहतरीन अवसर बना।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने बस्तर हाट की थीम पर आधारित एक एक्सपीरियंस जोन का अवलोकन किया, जिसमें विभिन्न विभागीय स्टालों के जरिए क्षेत्र के विकास कार्यों को प्रदर्शित किया गया। इस अवसर पर बस्तर, कोण्डागांव, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, सुकमा और बीजापुर जिलों की विकास योजनाओं और उपलब्धियों को स्टॉल के माध्यम से साझा किया गया। इन स्टालों में क्षेत्रीय नवाचार और विकास की विभिन्न झलकियां पेश की गईं, जो बस्तर के समाज और अर्थव्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन ला रही हैं।
बस्तर कॉफी: एक नई पहचान का निर्माण
बस्तर जिले के स्टाल में बस्तर कॉफी के उत्पादन और प्रसार की पूरी प्रक्रिया का प्रदर्शन किया गया। यह विशेष प्रदर्शनी बस्तर कॉफी के उत्पादन से लेकर उसे पाउडर पैकेजिंग तक की पूरी यात्रा को दिखाती है। इसके साथ ही, ‘बस्तर कैफे’ पहल ने स्थानीय स्तर पर रोजगार और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बस्तर कॉफी को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए विभिन्न प्रयास भी किए जा रहे हैं, जो स्थानीय किसानों और उद्यमियों के लिए नए अवसरों का निर्माण कर रहे हैं।
कोण्डागांव का शिल्प और नवाचार का संगम
कोण्डागांव जिले ने अपनी पारंपरिक शिल्पकला और आधुनिक विकास परियोजनाओं को प्रस्तुत किया। झिटकू मिटकी आर्टिसन प्रोड्यूसर ने बेल मेटल कला से श्रीराम मंदिर की स्थापत्य कला का अद्भुत मॉडल प्रस्तुत किया। इसके साथ ही, जिले में पर्यटन विकास, रोजगार के अवसरों का विस्तार, एनीमिया मुक्त कोण्डागांव अभियान और डिजिटल प्रशासन की पहल को भी दर्शाया गया।
शिक्षा और बाल विकास में दंतेवाड़ा की पहल
दंतेवाड़ा जिले ने शिक्षा और बाल कल्याण के क्षेत्र में किए गए नवाचारों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया। बाल मित्र कार्यक्रम के जरिए स्कूल से बाहर बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। बाल मित्र पुस्तकालय और पंचायतों के माध्यम से बच्चों को नेतृत्व और निर्णय लेने के कौशल सिखाए जा रहे हैं, जो समग्र विकास में सहायक साबित हो रहे हैं।
कांकेर जिले में लघु वनोपज और उद्यानिकी परियोजनाओं का महत्व
कांकेर जिले ने लघुवनोपज आधारित परियोजनाओं और उद्यानिकी विकास की दिशा में किए गए प्रयासों को प्रमुखता से पेश किया। फ्रेश सीताफल परियोजना ने स्थानीय किसानों और स्वसहायता समूहों के लिए आय का एक स्थिर स्रोत उत्पन्न किया है। इसके अलावा, पोषण और रोजगार के नए अवसरों के सृजन में मछली पालन, कड़कनाथ मुर्गी पालन जैसे पहलू भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
नारायणपुर में महिला सशक्तिकरण की सफलता
नारायणपुर जिले ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रयास किए हैं। स्वसहायता समूहों की महिलाओं ने हर्बल गुलाल, मशरूम उत्पादन और कड़कनाथ पालन जैसी गतिविधियों में भागीदारी बढ़ाई है, जिससे उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता मिली है। इसके साथ ही, कृषि में नवीन तकनीकों का समावेश और पोषण आहार कार्यक्रम भी यहां के विकास का हिस्सा बने हैं।
सुकमा में यातायात और आवासीय योजनाओं की प्रगति
सुकमा जिले में ग्रामीण विकास और आधारभूत संरचनाओं पर जोर दिया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना और लखपति दीदी योजना जैसी पहलों से स्थानीय लोगों को आर्थिक सशक्तिकरण मिल रहा है। इसके अलावा, हक्कुम मेल योजना के तहत यातायात सुविधाओं में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं।
बीजापुर में ‘नियद नेल्ला नार’ योजना का प्रभाव
बीजापुर जिले में माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में चल रही ‘नियद नेल्ला नार’ योजना के तहत समग्र विकास पर जोर दिया गया है। इस योजना के माध्यम से ग्रामीणों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। इसके अलावा, जिले के प्राकृतिक सौंदर्य को पर्यटन के जरिए वैश्विक स्तर पर प्रमोट करने की दिशा में भी कदम उठाए गए हैं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस बैठक में बस्तर क्षेत्र के विकास को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की और सरकार के प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि इन विकास योजनाओं के जरिए बस्तर को एक नई पहचान मिलेगी और यहां के निवासियों को बेहतर जीवन सुविधाएं मिलेंगी।