ग्रेनेड हमले का मास्टरमाइंड गिरफ्तार: 30 साल बाद यूपी एटीएस को मिली सफलता
उत्तर प्रदेश : आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) और उत्तर प्रदेश पुलिस को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। 30 साल से फरार 1993 देवबंद बम धमाके के मुख्य आरोपी और आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के सक्रिय सदस्य नजीर अहमद वानी उर्फ मुस्तफा को जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले से गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी एटीएस और सहारनपुर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई के तहत हुई।
26 अगस्त 1993 को सहारनपुर के देवबंद क्षेत्र के मोहल्ला यूनियन तिराहा में ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों पर एक ग्रेनेड हमला हुआ था। इस घटना में कांस्टेबल कन्हैया लाल, कांस्टेबल अर्जुमन अली, स्थानीय निवासी जय प्रकाश और सुखबीर सहित कई लोग घायल हुए थे। घटना से पूरे इलाके में भय का माहौल बन गया था। जांच में पता चला कि यह हमला हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादी नजीर अहमद वानी ने किया था, जो उस समय फर्जी दस्तावेजों के सहारे देवबंद में रह रहा था।
1994 में नजीर अहमद को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। इसके खिलाफ देवबंद थाने में दो मुकदमे दर्ज थे:
- धारा 307 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत मुकदमा (मामला संख्या 507/1993)
- धारा 467, 468, और 471 के तहत फर्जी दस्तावेज बनाने का मामला (मामला संख्या 265/94)
कोर्ट से उसे जमानत मिल गई, लेकिन इसके बाद वह फरार हो गया। 30 साल तक वह अलग-अलग नामों और पहचान के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में छिपता रहा।
अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 20 मई 2024 को नजीर के खिलाफ स्थायी वारंट जारी किया। सहारनपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने उसकी गिरफ्तारी के लिए ₹25,000 का इनाम घोषित किया और एटीएस की मदद से उसे पकड़ने की योजना बनाई गई।17 नवंबर 2024 को मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर एटीएस और सहारनपुर पुलिस की टीम ने जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले के हाकर मुल्ला गांव में दबिश दी। नजीर अहमद को उसके ठिकाने से गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी कई महीनों की कड़ी निगरानी और तलाशी के बाद संभव हो सकी।
गिरफ्तारी के बाद आरोपी को सहारनपुर लाया गया और उसे कोर्ट में पेश किया गया। पुलिस ने बताया कि आरोपी के पास से बरामद दस्तावेज और अन्य साक्ष्य उसकी पहचान और अपराध को प्रमाणित करते हैं।इस गिरफ्तारी से सुरक्षा एजेंसियों ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि आतंकवादी चाहे कितने भी सालों तक छिपा रहे, कानून की पकड़ से बच नहीं सकता। यह कदम न केवल कानून व्यवस्था को मजबूत करता है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ देश की जीरो टॉलरेंस नीति को भी स्पष्ट करता है।
नजीर अहमद की गिरफ्तारी के बाद उसकी गतिविधियों, संपर्कों और अन्य अपराधों की गहन जांच की जाएगी। पुलिस और एटीएस ने इसे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण सफलता बताया है।