“महाराष्ट्र चुनाव से पहले सियासी तनातनी: सुप्रिया सुले का भाजपा पर हमला, शिवसेना गुटों में विवाद गहरा”
मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं, और इस दौरान राज्य की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के वक्फ संशोधन अधिनियम पर बयान और भाजपा के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे पर राकांपा-एससीपी सांसद सुप्रिया सुले ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। सुप्रिया सुले ने कहा कि यह लोकतंत्र की सबसे बड़ी संस्था यानी संयुक्त संसदीय समिति पर सवाल उठाना ठीक नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश संविधान पर चलता है, न कि किसी अदृश्य ताकत से, और भाजपा का यह बयान संविधान के खिलाफ है, जो बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा निर्मित है। उनका कहना था कि भाजपा इस तरह की बयानबाजी से भारतीय लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि हर दिन विपक्षी नेताओं की तलाशी लेना नई गंदी राजनीति का हिस्सा है, जो देश की लोकतांत्रिक भावना से मेल नहीं खाता।
वहीं, महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। राज्य में राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। शिवसेना (यूबीटी) और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच बयानों की जंग भी लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। हाल ही में उद्धव गुट के शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने शिवसेना (शिंदे गुट) की नेता शाइना एनसी पर विवादास्पद बयान दिया था, जिसके बाद शाइना एनसी ने उद्धव गुट पर हमला करते हुए उन्हें दोषी ठहराया। शाइना एनसी ने आरोप लगाया कि उद्धव गुट के नेता महिलाओं के लिए अनुचित शब्दों का इस्तेमाल करते हैं और फिर उनका बचाव करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने जोगेश्वरी विधानसभा क्षेत्र में महिलाओं के खिलाफ हिंसा और हमले की घटनाओं को लेकर भी अपना गुस्सा व्यक्त किया और कहा कि इस प्रकार के आपराधिक कृत्य स्वीकार्य नहीं हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
राज्य में विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होंगे, और वोटों की गिनती 23 नवंबर को की जाएगी। इस चुनाव में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना, भाजपा और अजीत पवार की एनसीपी से बनी महायुति सत्ता बनाए रखने के लिए पूरी ताकत लगा रही है, वहीं विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) इस सरकार को सत्ता से बाहर करने के प्रयास में है। चुनावी माहौल में हर दिन नई बयानबाजी और विवाद उभर कर सामने आ रहे हैं, जो राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को और भी दिलचस्प बना रहे हैं।