“भारत-रूस व्यापार 2030 तक 100 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद, जयशंकर ने साझा किया लक्ष्य”
नई दिल्ली: भारत और रूस के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक नई दिल्ली में हुई, जिसमें भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव ने भाग लिया। इस बैठक में दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को और मजबूत करने के लिए कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस अवसर पर कहा कि हालांकि दोनों देशों के बीच व्यापार में कुछ चुनौतियां मौजूद हैं, खासकर भुगतान और आपूर्ति से जुड़ी समस्याएं, लेकिन इस दिशा में पहले ही कई कदम उठाए जा चुके हैं और आगे भी इन समस्याओं का समाधान निकाला जाएगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए संयुक्त प्रयासों को आगे बढ़ाना आवश्यक है, जिनमें उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक गलियारा और नॉर्दर्न सी रूट जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स शामिल हैं।
एस जयशंकर ने यह भी बताया कि दोनों देशों के बीच खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं पर भी गहरी चर्चा हुई है। उन्होंने बताया कि रूस भारत के लिए फर्टिलाइजर, कच्चे तेल, कोयला और यूरेनियम जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों का एक प्रमुख स्रोत बन गया है। इसके अलावा, भारत का फार्मास्यूटिकल उद्योग भी रूस के लिए एक सस्ता और भरोसेमंद स्रोत बन चुका है। विदेश मंत्री ने विश्वास जताया कि दोनों देशों के बीच व्यापार साल 2030 तक 100 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो दोनों देशों के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव ने भी बैठक के दौरान कहा कि पिछले पांच वर्षों में भारत और रूस के बीच व्यापार में पांच गुना से अधिक वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि अब भारत रूस के सभी विदेशी आर्थिक साझेदारों में दूसरा सबसे अहम देश बन गया है। मंटुरोव ने दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की और कहा कि भारत-ईईयू (Eurasian Economic Union) मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के साथ-साथ द्विपक्षीय सेवाओं और निवेश समझौतों पर भी चर्चा जारी है।
इसके अतिरिक्त, मंटुरोव ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच बैंकिंग सहयोग को और बढ़ावा दिया जाएगा और रूसी और भारतीय बैंकों के बीच समन्वय में सुधार किया जाएगा। इसके अलावा, उन्होंने दोनों देशों के बीच हवाई यातायात को बढ़ाने पर भी जोर दिया, जिसमें खासकर भारतीय एयरलाइंस को रूस के लिए और अधिक उड़ानें संचालित करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केवल रूसी एयरलाइंस एरोफ्लोट ही भारत के लिए उड़ानें संचालित करती है, लेकिन भविष्य में एयरलाइंस के नेटवर्क विस्तार के साथ भारतीय एयरलाइंस भी रूस के लिए उड़ानों का संचालन कर सकती हैं।
नए क्षेत्रों में सहयोग के बारे में मंटुरोव ने बताया कि दोनों देशों के बीच परमाणु क्षेत्र में सहयोग का विस्तार किया जाएगा, और इसके अलावा मेक इन इंडिया के तहत भारतीय रेलवे के लिए हाई-स्पीड इलेक्ट्रिक ट्रेनों के संयुक्त उत्पादन पर भी काम किया जा रहा है। यह दोनों देशों के लिए एक और महत्वपूर्ण आर्थिक पहलू है, जो न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण में भी अहम भूमिका निभाएगा।
इस बैठक ने भारत और रूस के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता को और मजबूत किया है, और यह संकेत है कि भविष्य में दोनों देशों के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग और बढ़ेगा।