सुनीता विलियम्स की बिगड़ी तबीयत! स्पेस मिशन में देरी ने बढ़ाई स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं
Sunita Williams : नासा की भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स की तबीयत को लेकर हालिया घटनाक्रम ने चिंता बढ़ा दी है। उन्हें जून में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) भेजा गया था, लेकिन स्टारलाइनर यान में आई तकनीकी खराबी के कारण आठ दिन का मिशन छह महीने तक खिंच गया है। इस लंबी अवधि के कारण उनकी सेहत पर असर पड़ा है, और उनकी कुछ तस्वीरों से पता चलता है कि उनका वजन कम हुआ है और वह थोड़ी बीमार नजर आ रही हैं। विलियम्स और उनके साथी एस्ट्रोनॉट बैरी विलमोर अब तक स्पेस स्टेशन पर हैं, और वहां की चुनौतीपूर्ण स्थिति ने उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति को प्रभावित किया है।
नासा के अनुसार, सुनीता और अन्य क्रू मेंबर्स को वापस लाने के लिए एलन मस्क के स्पेसएक्स द्वारा विकसित ड्रैगन कैप्सूल का उपयोग किया जाएगा। यह कैप्सूल फरवरी में भेजा जाएगा, लेकिन तब तक विलियम्स की सेहत को लेकर डॉक्टरों की चिंता बरकरार है। विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी ऊंचाई और दबाव वाले वातावरण में लंबे समय तक रहना, कम कैलोरी का सेवन, और रोजमर्रा की एक्सरसाइज से ऊर्जा की अधिक खपत उनके शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। सिएटल स्थित पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विनय गुप्ता ने उनके गालों के धंसे हुए होने की ओर इशारा किया है, जो वजन कम होने के कारण होता है। इसके अलावा, अंतरिक्ष के ठंडे और माइक्रोग्रैविटी वातावरण में उनकी मांसपेशियों और हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए उन्हें प्रतिदिन 2.5 घंटे की एक्सरसाइज करनी पड़ती है, जो ऊर्जा का अतिरिक्त उपयोग करता है।
हाल ही में नासा के चार अन्य क्रू मेंबर्स, जिन्होंने 235 दिन स्पेस स्टेशन पर बिताए थे, सफलतापूर्वक वापस लौटे हैं, लेकिन सावधानी बरतते हुए उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। इन यात्रियों में मैथ्यू डोमिनिक, माइकल बैरेट, जीनेट एप्स और अलेक्जेंडर ग्रेबेनकिन शामिल हैं। इसके साथ ही, सुनीता विलियम्स की लंबी अंतरिक्ष यात्रा को लेकर भी चिंता बनी हुई है, क्योंकि लंबे समय तक स्पेस स्टेशन पर रहना शारीरिक व मानसिक तनाव पैदा कर सकता है।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थित एक प्रमुख अनुसंधान केंद्र है, जहां विभिन्न देशों के वैज्ञानिक मिलकर अनुसंधान करते हैं। अंतरिक्ष में इंसानों के लिए बनाए गए इस स्थायी स्टेशन में बाथरूम, जिम, छह क्वार्टर जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। पृथ्वी से 402 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित ISS हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करता है, और इसमें माइक्रोग्रैविटी और अंतरिक्ष के वातावरण पर विभिन्न प्रयोग किए जाते हैं।