ओवैसी का वक्फ बोर्ड पर सवाल: TTD का उदाहरण देकर उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दे
असदुद्दीन ओवैसी: एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) का उदाहरण देते हुए कहा कि इस बोर्ड में 24 सदस्य हैं और उनमें से कोई भी गैर-हिंदू नहीं है। ओवैसी ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि टीटीडी के नए अध्यक्ष ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस बोर्ड में काम करने वाले लोग हिंदू होने चाहिए, और इस पर उनका कोई विरोध नहीं है।
हालांकि, ओवैसी का मुख्य आपत्ति यह है कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने वक्फ से संबंधित एक प्रस्तावित बिल में यह प्रावधान शामिल किया है कि केंद्रीय वक्फ परिषद में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों का होना अनिवार्य है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब टीटीडी, जो हिंदू धर्म का बोर्ड है, में मुस्लिम सदस्यों की अनुमति नहीं है, तो वक्फ बोर्ड, जो मुस्लिम धर्म से संबंधित है, में गैर-मुस्लिम सदस्य कैसे हो सकते हैं। ओवैसी ने इस पर समानता की मांग करते हुए कहा कि यह एक अन्याय है, और इस मुद्दे पर सरकार को स्पष्टता प्रदान करनी चाहिए।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर बात करते हुए, ओवैसी ने कहा कि एआईएमआईएम अपने बल पर चुनाव लड़ रही है। उन्होंने कहा कि जब मुसलमानों को उनकी वास्तविक आबादी के अनुसार राजनीतिक अधिकार मिलेंगे, तो भारतीय राजनीति अधिक सशक्त होगी। वर्तमान में भारतीय संसद में केवल 4% मुस्लिम सांसद हैं, जो कि उनके प्रतिनिधित्व के लिए अपर्याप्त है। ओवैसी ने यह भी कहा कि उनका प्रयास है कि शिंदे, फडणवीस और अजित पवार की सरकार फिर से सत्ता में न आएं।
इसके अलावा, बड़गाम आतंकी हमले पर जेकेएनसी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला के बयान का समर्थन करते हुए ओवैसी ने कहा कि कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी उपराज्यपाल की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि वहां आतंकी हमले हो रहे हैं, तो बीजेपी को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। ओवैसी ने मोदी सरकार की विफलता पर भी निशाना साधा और कहा कि यदि पाकिस्तान से आतंकी आ रहे हैं, तो सरकार को उन्हें रोकने और गिरफ्तार करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। इस संदर्भ में, ओवैसी ने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे आतंकवादियों को रोकने में सक्षम हों।